मध्यप्रदेश सरकार ने गुरुवार को भरोसा दिलाया कि वह 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे के निपटान के दौरान जनता के हितों का पूरा ध्यान रखेगी। गैस त्रासदी के 40 साल बाद यह जहरीला कचरा इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक निजी कंपनी की संचालित औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में पहुंचा दिया गया है। हालांकि, धार जिले के करीब 1.75 लाख की आबादी वाले इस औद्योगिक कस्बे में कचरे के निपटान की योजना का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस विरोध को शांत करने की कोशिश के तहत राज्य सरकार ने इंदौर में जन प्रतिनिधियों, प्रबुद्ध नागरिकों और विशेषज्ञों की बैठक बुलाई। बैठक की अध्यक्षता मध्यप्रदेश के नगरीय आवास और विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने की।
मुख्यमंत्री ने ली गारंटी : विजयवर्गीय, धार के प्रभारी मंत्री भी हैं। उन्होंने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया,हमने बैठक में सभी लोगों के विचार सुने हैं। हमने उन्हें विश्वास दिलाया है कि हम (जहरीले कचरे के निपटारे के दौरान) जनहित का पूरा ध्यान रखेंगे।
काबीना मंत्री ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गारंटी ली है कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान के दौरान पर्यावरण और इंसानी आबादी को कोई भी नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
धार की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विधायक नीना वर्मा ने राज्य सरकार की योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह यूनियन कार्बाइड के कचरे के पीथमपुर में निपटान के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस कचरे को भोपाल के बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने में ही अपशिष्ट निपटान इकाई लगाकर खत्म कर दिया जाना चाहिए या इसे विदेश की किसी अपशिष्ट निपटान इकाई को भेज दिया जाना चाहिए।
भाजपा विधायक ने कहा कि यूनियन कार्बाइड कारखाने में 40 साल पहले हुई गैस त्रासदी ने लाशों के ढेर लगा दिए थे। उन्होंने कहा,मैं नहीं चाहती कि यह इतिहास पीथमपुर में दोहराया जाए।
वर्मा ने कहा कि मैं राज्य सरकार से अपील करती हूं कि जिस अपशिष्ट निपटान इकाई में यह कचरा जलाया जाना है, उसे ही पीथमपुर से हटा दिया जाए। एशिया के विशाल औद्योगिक क्षेत्रों में गिना जाने वाला पीथमपुर, महू की सैन्य छावनी और इंदौर जैसे बड़े शहर के पास स्थित है जहां लाखों लोग रहते हैं। बैठक में शामिल राज्य सरकार के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि पीथमपुर की इकाई में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के सुरक्षित निपटारे के पक्के इंतजाम हैं।
राज्य के गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि पीथमपुर भेजे गए इस कचरे में मिट्टी और कीटनाशक बनाने में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के अवशेष शामिल हैं। सिंह ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी को 40 साल बीत चुके हैं। अब इस कचरे में उतना ज्यादा जहरीलापन नहीं रह गया है जितनी आम लोगों में इसके बारे में धारणा है।
उन्होंने कहा कि पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में इस कचरे को नष्ट करने का फैसला विशेषज्ञों के साथ लम्बे राय-मशविरे के बाद किया गया है और इसे मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर वहां भेजा गया है। सिंह ने बताया कि पीथमपुर पहुंचे कचरे के 10 टन के नमूने को शुरुआत में परीक्षण के तौर पर नष्ट किया जाएगा और इसके परिणामों की वैज्ञानिक जांच के आधार पर बचे कचरे को लेकर अगला कदम उठाया जाएगा।
हाईकोर्ट ने तीन दिसंबर को इस कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय-सीमा तय की थी। अदालत ने सरकार को चेतावनी भी दी थी कि अगर उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया, तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इनपुट भाषा