कभी स्कूल या कॉलेज में नहीं गए रणजीत नागर ने कभी बिजली का काम भी नहीं सीखा और विंड पावर से तो उनका कभी वास्ता रहा ही नहीं। जिमी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर 11 साल से स्थापित विंड टर्बाइन को कुछ सुधार की जरूरत थी। इस टरबाइन को जल्दी सुधारने की जरूरत इसलिए भी थी क्योंकि इससे पास के 50 आदिवासी परिवारों के इलाके में इससे 19 स्ट्रीट लाइट चलती हैं।
कुछ दिनों से पंखा तो चल रहा था लेकिन बिजली की आपूर्ति में दिक्कत आ रही थी । इंजीनियरों और पेशेवर तकनीशियनों से परामर्श किया गया कि कैसे इसे नीचे लेकर ठीक किया जाए लेकिन इसी बीच गांव में बिजली का काम करने वाले रणजीत नागर से चर्चा हुई। जब इसे सुधारने में रुचि दिखी तो उन्हें टरबाइन की उपयोग पुस्तिका दी गई। रणजीत ने इसे चुनौती की तरह स्वीकार करते हुए कहा कि मैं इसे सुधारना चाहूंगा ! गांव सनावदिया के साथियों गौरव नागर, विकास धाकड़, दीपक धाकड़, दिनेश , राकेश , वाहिद , अतुल के सहयोग से इसे नीचे लाया गया। जांचने पर पता चला कि ब्रश कार्ड असेंबली को बदलने की जरूरत है।
सोलर इंजीनियर सुष्मिता भट्टाचार्य ने इंटरनेट पर खोज कर पुणे की व्हिस्प्र कंपनी से संपर्क किया। संयोग से साथी समीर शर्मा पुणे में थे और उन्हें ब्रश कार्ड असेंबली मिल भी गई वे खुद इसे इंदौर लाए। इस बीच 4 भागों में बंटी 60 फीट ऊंची टरबाइन के गर हिस्से की नंदा और राजेंद्र चौहान ने सफाई, कलर और ऑयलिंग कर दी।
रणजीत के साथ महेंद्र सिंह धाकड़, निक्की सुरेका सुनील चौहान , गोविंद महेश्वरी , राजेंद्र चौहान मनोज जारवाल के सहयोग से विंड टर्बाइन पूर्ववत चालू कर दी। उज्जैन के एसपी दिलीप सोनी भी इस बीच सेंटर पहुंचे थे उन्होंने भी सहजता से इसमें साथ दिया। सोलर इंजीनियर सुष्मिता भट्टाचार्य सहित सभी ने आश्चर्य मिश्रित खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे गांव की प्रतिभा कमाल है।