इंदौर शहर में इन दिनों भक्ति, आनंद और आध्यात्मिक उल्लास का रंग छाया हुआ है, क्योंकि निवासी दिव्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के आगमन की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं।
1000 वर्षों बाद मिले मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग अंश का अनावरण: सदियों तक दुनिया से छिपे रहने के बाद, इतिहास में खोए हुए इन अंश को अब मध्यप्रदेश के कई शहरों में जनमानस के दर्शन हेतु यात्रा आयोजित की गई है।
भक्तों को भारत की आध्यात्मिक विरासत से जुड़ने का दुर्लभ अवसर मिलेगा। वातावरण भक्ति से परिपूर्ण होगा जब मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के 11 अंश को सार्वजनिक दर्शन के अलग-अलग शहरों लिए लाया जाएगा।
आधुनिक वैज्ञानिकों ने जब शिवलिंग का परीक्षण किया तो वे आश्चर्यचकित रह गए। सामान्य चुंबकीय पत्थरों के विपरीत, इस पत्थर में एक अनोखा चुंबकीय क्षेत्र पाया गया, जो इसके केंद्र में केंद्रित था। इसकी संरचना—अध्ययन के बाद—किसी ज्ञात पदार्थ से मेल नहीं खाई। सामान्य चुंबकीय तत्वों में जहां लोहे की मात्रा अधिक होती है, वहीं इन शिवलिंगों में सिर्फ़ अल्प मात्रा में ही लोहे के अंश पाए गए। यह भूवैज्ञानिकों के लिए भी जिज्ञासा का विषय बन गया। यह क्षण कई लोगों के लिए भावनाओं से भरा हुआ है।
सोमनाथ में पुनः प्रतिष्ठा से पहले, ये अवशेष देश के प्रमुख तीर्थस्थलों और पवित्र केंद्रों की यात्रा करेंगे ताकि हर जगह के भक्त दर्शन कर सकें। यह यात्रा देश को उसकी खोई हुई आध्यात्मिक धरोहर से फिर से जोड़ने का उद्देश्य लेकर निकली है।
मध्यप्रदेश में यात्रा का कार्यक्रम:
14–27 दिसंबर: इंदौर
28 दिसंबर – 5 जनवरी: भोपाल
14–20 जनवरी: ग्वालियर
21 दिसंबर – 5 जनवरी: जबलपुर
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की वापसी केवल एक मंदिर का पुनर्निर्माण नहीं है—यह एक विरासत का पुनर्जागरण है, यह स्मरण है कि सत्य और दिव्यता कभी खो नहीं सकती।
तमिलनाडु के पंडित सीताराम शास्त्री, जो पीढ़ियों से इन लिंगों की पूजा करते आ रहे थे, इन्हें लेकर कांची शंकराचार्य के पास गए। शंकराचार्य ने उन्हें निर्देश दिया: 'इन्हें बेंगलुरु ले जाइए। वहां एक संत हैं—गुरुदेव श्री श्री रविशंकर। इन्हें उनके पास ले जाएं।'
विश्व विख्यात मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु गुरुदेव श्री श्री रविशंकर विश्वभर में शांति और सद्भाव का संदेश फैला रहे हैं, और यह महत्वपूर्ण है कि प्रतिष्ठा से पहले ये ज्योतिर्लिंग उनके संरक्षण में हैं। शांति के दूत के रूप में, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने वाले हैं।