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कचरा मुक्त विवाह समारोह और सफल विवाहित जीवन ही सस्टेनेबल: जनक पलटा

जनक पलटा मगिलिगन की शादी की 36वीं सालगिरह पर कार्यशाला

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WD Feature Desk

, शनिवार, 30 नवंबर 2024 (13:02 IST)
जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की निदेशिका डॉ. (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन ने 27 नवंबर, 2024 को सनावदिया स्थित सेंटर में ही 'सस्टेनेबल शादी' कार्यशाला आयोजित करके अपनी 36वीं सालगिरह मनाई।
 
कार्यक्रम की शुरुआत गोविंद माहेश्वरी के शंखनाद, जनक पलटा मगिलिगन, डॉ. डॉ ललिता शर्मा, प्रिया शर्मा और हर्ष अरोड़ा द्वारा बहाई प्रार्थना, गौतम काले के संगीत गुरुकुल समूह द्वारा भावपूर्ण भजनों से हुई। जनक मगिलिगन ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य पारिवारिक जीवन को मजबूत बनाना है, क्योंकि परिवार समाज की पहली इकाई है और इसकी नींव विवाह संस्था पर आधारित है। पहला यह कि कैसे कम से कम खर्च पर स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल, प्लास्टिक मुक्त शून्य अपशिष्ट और स्वस्थ विवाह समारोह का आयोजन किया जाए ताकि पैसों का दुरुपयोग भी न हो और शादी समारोह के बाद होने वाला कचरा भी न हो। 
 
इसके साथ शादी करने के बाद पति-पत्नी खुशहाल अपने दाम्पत्य जीवन को सफल बनाए। जनक पलटा मगिलिगन ने बताया कि कैसे कम से कम खर्च से कचरामुक्त, स्वच्छ व सुंदर विवाह का अयोजन किया जाए, जिसका सभी आनंद भी ले सके और शादी समारोह के बाद होने वाला कचरा भी न हो व रिश्तेदार व वर-वधू भी खुश रहें उनके परिवारों को भी शादी बोझ न बने। 
 
उनके पति जिम्मी ब्रिटिश थे, बहाई सेवा में मिल कर जीवन बिताया। यहां तक उन्होंने भारतीय संस्कृति को इस तरह आत्मसात किया कि दोनों का जीवन सफ़ल व सार्थक रहा क्योंकि दोनों संकल्पित थे कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट, सस्टेनेबल जीवन जीने से होगी। जिसमें पति-पत्नी दोनों मिलकर सृष्टि का विकास करेंगे और आने वाली पीढ़ी को विरासत में अच्छी दुनिया देंगे। उन्होंने बताया कि जीवन का उद्देश्य ईश्वर के प्रेम के लिए प्राणियों में सद्भावना पैदा करना है। सफ़ल शादी का मुख्य आधार परस्पर विश्वास व पारदर्शिता व स्त्री-पुरुष एक दूसरे के पूरक है जैसे एक पक्षी के दो पंख जिससे उडान भरता है। शादी को सस्टेनेबल बनाने के लिए दोनों पति और पत्नी के जीवन के विचारों और सोच के समझना और सम्मान देना आवश्यक है।'
 
स्वाहा कंपनी के निदेशक रोहित अग्रवाल और उनकी पत्नी पूजा ने 2017 में 'जीरो वेस्ट वेडिंग्स' के महत्व के बारे में जनक दीदी की कार्यशाला से प्रेरित होकर इको फ्रेंडली विवाह की अपनी कहानी साझा की। उन्होंने यह भी बताया कि एक जीरो वेस्ट इंदौर में 5000 किलोग्राम कचरे को बचाएगा। कई युवाओं ने जीरो-वेस्ट विवाह और स्थायी विवाहित जीवन का संकल्प लिया। प्रतिभागियों में छात्र और अभिभावक शामिल थे, जो स्थायी विवाह के बारे में जानने के इच्छुक थे। 
 
जनक पलटा द्वारा प्रशिक्षित प्रशिक्षुओं ने अपने परिवर्तनकारी निर्णयों को साझा किया : नीलेश चौहान MSW ने साझा किया कि वह पिछले साल की कार्यशाला से प्रेरित हैं तथा एक उद्यमी के रूप में जीरो-वेस्ट और टिकाऊ विवाह समारोह आयोजित करने के लिए एक कंपनी शुरू करने के लिए प्रेरित हुए हैं तथा उन्होंने पहले ही 'प्लास्टिक को ना कहें' का एक समूह बना लिया है। 
 
सिद्धार्थ लोधी ने पुराने भारतीय खाद्य पदार्थों को वापस लाने तथा पत्तों में परोसने तथा अपने गांव में प्लास्टिक को खत्म करने का संकल्प लिया है। एमए अर्थशास्त्र की छात्रा तुहिना झा ने न केवल विवाह, बल्कि सभी समारोहों को प्लास्टिक मुक्त करने तथा पर्यावरण अनुकूल जीवन जीने का संकल्प लिया है। जनक दीदी की एक और MSW इंटर्न पद्मा जारवाल ने बताया कि 2020 से अब तक उन्होंने 125 स्कूली बच्चों और शिक्षकों को इको फ्रेंडली जीवन के बारे में शिक्षित किया है और वह खुद भी इसका अभ्यास करती हैं। प्रतीक जैन ने अपना खानपान व्यवसाय बदल दिया है और सस्टेनेबल आजीविका का विकल्प चुना है। राजेंद्र ओचानी ने जिम्मी और जनक की प्रशंसा में एक गीत गाया, जिन्होंने उन्हें 1986 से अब तक पेड़ लगाकर राखी का त्योहार मनाने के लिए प्रेरित किया। 
 
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ. प्रतिभा राजगोपाल प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) लोक प्रशासन आरसीवीपी नरोन्हा प्रशासन और प्रबंधन अकादमी भोपाल, मध्यस्थता केंद्र की अध्यक्ष और प्रमुख, ने जनक दीदी और उनके पति जिम्मी के वास्तविक जीवन के अनुभव की सराहना की, जिन्होंने एक रोल मॉडल के रूप में एक साथ अपने जीवन को सस्टेनेबल बनाया, जिसने हजारों आदिवासी लड़कियों को प्रभावित किया है और वे अपने समुदायों में सस्टेनेबल राजदूत बन रही हैं और यह कार्यशाला सभी नाजुक और टूटते विवाहों को रोकेगी। 
 
यह भारत के विवाह और सामाजिक ताने-बाने को बचाने और बनाए रखने और प्रकृति मां को बचाने के लिए सबसे अच्छा निवारक उपाय है। प्रो राजीव संगल, पूर्व निदेशक आईआईटी बीएचयू और आईआईआईटी हैदराबाद, विशिष्ट अतिथि ने सस्टेनेबल विवाहित जीवन के बहुत जरूरी मुद्दे पर इस कार्यशाला के महत्व की सराहना की और उन्होंने मनुष्य के आध्यात्मिक प्राणी के महत्व पर बल दिया तथा प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना चाहिए। उनकी पत्नी निशा संगल ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के कारण अपनी बेटी की जीरो वेस्ट शादी की कहानी साझा की तथा यह निर्णय लिया। 
 
शादी में कचरा नहीं करे और शादी का कचरा नहीं करे, जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण विषय की इस प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रबुद्ध, वरिष्ठजनो, माता-पिता और युवा पीढ़ी उपस्थित रही जिन्होंने आज सस्टेनेबल शादी और शादी में कचरा नहीं करे जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण और गंभीर विषय को बहुत ध्यान से सुना और समझा।
 
पर्यावरणविद्, सामाजिक कार्यकर्ता, निशा संगल, डॉ. दिलीप वाघेला, कीर्ति सिक्का, अदिति गौतम काले सृष्टि सिसौदिया, आई टी विशेषज्ञ भरत जाट, इंदौर से भारती बत्रा और नित्या और डीएवीवी के स्कूल ऑफ सोशल साइंस और स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के कई एमएसडब्ल्यू छात्रों ने भाग लिया और इस कार्यशाला का आनंद लिया। कार्यशाला का संचालन वनस्पति विज्ञान प्रो. जयश्री सिक्का ने बहुत ही रोचक एवं जीवंत तरीके से किया।
 
जिम्मी और जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के ट्रस्टी, प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र गोयल ने मुख्य अतिथि, सम्मानित अतिथि और सभी प्रतिभागियों को इस कार्यशाला का हिस्सा बनने के लिए अपना समय देने के लिए धन्यवाद दिया और सभी को शुभकामनाएं दीं। 
 

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