Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

26 अक्‍टूबर: गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती, जानें खास 12 बातें

हमें फॉलो करें 26 अक्‍टूबर: गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती, जानें खास 12 बातें
, गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023 (09:55 IST)
Ganesh shankar vidhyarthi : 
जन्म- 26 अक्टूबर 1890
निधन- 25 मार्च 1931
 
 1. स्‍वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में गणेश शंकर विद्यार्थी का नाम आज भी अजर-अमर हैं। गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्‍म 26 अक्‍टूबर 1890 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम जयनारायण था, जो कि बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे तथा अपने उसूलों के एकदम पक्‍के थे। 
 
2. उनकी प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और अंग्रेजी में हुई थी तथा उन्हें लेखन का बहुत शौक था। और उन्होंने ख्‍यात लेखक पंडित सुंदर लाल के साथ वे हिंदी साप्‍ताहिक 'कर्मयोगी' के संपादन कार्य में उनकी मदद करने लगे। 
 
3. गणेश शंकर विद्यार्थी ने सरस्‍वती, स्‍वराज्‍य, हितवार्ता जैसे प्रकाशनों के लिए भी लेख लिखें। 
 
4. उनके जोश भरे लेखन, क्रांतिकारी आंदोलन से जन आंदोलन को जोड़ने वाले उस योगदान को कभी नहीं भूलाया जा सकता। इसी में आगे बढ़ते हुए उन्होंने पत्रकारिता, सामाजिक कार्य और स्‍वाधीनता आंदोलन से जुड़ने के बाद अपना उपनाम 'विद्यार्थी' अपनाया।
 
5. उन्हें सन् 1911 में साहित्यिक पत्रिका 'सरस्‍वती' में उप-संपादक के पद पर काम करने का अवसर भी प्राप्‍त हुआ। 
 
6. गणेश शंकर विद्यार्थी सन् 1913 में कानपुर पहुंचे, जहां उन्‍होंने बेहद अहम रोल निभाते हुए क्रांतिकारी पत्रकार के तौर पर 'प्रताप' नामक पत्रिका निकाली। 
 
7. प्रताप पत्रिका के माध्‍यम से वे अन्‍याय, उत्‍पीड़न करने वाले लोगों के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे। तथा किसानों, मजदूरों तथा पीड़ितों के दुख को आम जनता के समक्ष जाने लगे। तब अंग्रेज सरकार से यह बर्दाश्‍त नहीं हुआ तो उन्होंने विद्यार्थी पर कई मुकदमें दर्ज करके जुर्माना लगा कर तथा गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 
 
8. विद्यार्थी को राजनीति में रूचि अधिक थी। जब सन् 1916 में विद्यार्थी की मुलाकात महात्‍मा गांधी से हुई और वे पूर्ण रूप से स्‍वाधीनता आंदोलन में शामिल हो गए। 
 
9. उन्‍होंने सन् 1920 में 'प्रताप' का दैनिक संस्‍करण निकालना शुरू किया। तथा किसानों के लिए लड़ी लड़ाई में उन्हें रायबरेली में 2 साल जेल की सजा हुई और वे 1922 में रिहा हुए। तत्पश्चात भी भड़काऊ भाषण के आरोप में उन्‍हें फिर जेल जाना पड़ा। वे एक निडर और निष्‍पक्ष पत्रकार समाजसेवी और स्‍वतंत्रता सेनानी थे।
 
10. सन् 1924 में उनका स्‍वास्‍थ्‍य ज्यादा ठीक नहीं रहा, फिर भी 1925 में यूपी के विस के लिए चुनाव के लिए उनका नाम तय हुआ, और 1929 में पार्टी ने उनसे त्‍याग पत्र ले लिया। बाद में उन्हें यूपी कांग्रेस समिति का अध्‍यक्ष बनाया गया। 
 
11. अपनी कलम की ताकत से पर जिन्होंने अंग्रेजी शासन की नींव हिला दी थी, ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी 25 मार्च 1931 को कानपुर में हुए दंगों के दौरान दंगाइयों की बीच दबकर शहीद हो गए तथा बाद में अस्‍पताल में मिले शवों के बीच उनका पार्थिव शरीर मिला।
 
12. भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान देने वाले, अन्‍याय, शोषण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने तथा अपनी कलम से जोश भरे लेखन से क्रांतिकारी आंदोलन की लड़ाई लड़ने वाले में गणेश शंकर विद्यार्थी को हमेशा याद रखा जाएगा। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Karwa Chauth Mehndi: करवा चौथ के लिए 5 आसान मेहंदी डिजाइन