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27 मई : पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि, जानें 10 खास बातें

हमें फॉलो करें 27 मई : पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि, जानें 10 खास बातें
nehru ji
 
'हम कोटि-कोटि कुटुम्बियों की और विश्व विशाल की,
सुख-शांति-चिंता थी, तुम्हारी सहचरी चिरकाल की।
तुम जागते थे रात में भी, जबकि सोते थे सभी,
जन-मात्र की सच्ची विजय है, जय जवाहरलाल की।'
 
मैथिलीशरण गुप्त की कविता 'जय' से लिए गए शब्दों से ही आप पं. नेहरू के बारे में कल्पना कर सकते हैं कि कैसे उन्होंने भारत के प्रति अपना कर्तव्य पूरा किया और स्वाधीनता की लड़ाई में अपना योगदान देकर वे भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। 27 मई को पंडित जवाहरलाल नेहरू (Pandit Jawahar Lal Nehru) की पुण्यतिथि मनाई जाती है। आइए जानते हैं उनके बारे में- 
 
1. स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने अपने कार्यकाल में छह बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद को सुशोभित किया, जिसमें लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937, दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954 आदि शामिल है। 
 
2. हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरूजी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए। 1942 के 'भारत छोड़ो' आंदोलन में नेहरूजी 9 अगस्त 1942 को बंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे, जहां से 15 जून 1945 को रिहा किए गए।
 
3. आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।
 
4. नेहरूजी के कार्यकाल में लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करना, राष्ट्र और संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को स्थायी भाव प्रदान करना और योजनाओं के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु करना उनके मुख्य उद्देश्य रहे।
 
5. पंडित नेहरू शुरू से ही गांधीजी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी। 1935 में अलमोड़ा जेल में 'आत्मकथा' लिखी।
 
6. पंडित नेहरू ने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। नेहरू ने पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया और 1954 में 'भारत रत्न' से अलंकृत हुए। नेहरूजी ने तटस्थ राष्ट्रों को संगठित किया और उनका नेतृत्व किया।
 
7. 'स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसम्बर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।' -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की 'मेरी कहानी' से।
 
8. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने विश्व भ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।
 
9. उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू पाक और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। 
 
10. जवाहरलाल नेहरू के लिए चीन का आक्रमण एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। 

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