Pandit Deen Dayal Upadhyay: आज, 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती मनाई जा रही है। आइए जानते हैं यहां उनके जीवन की 20 बातें
1. राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितंबर को मनाई जाती है।
2. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चंद्रभान गांव में हुआ था।
3. उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय और माता का नाम रामप्यारी था।
4. उनके पिता रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर थे और माता धार्मिक प्रवृत्ति की थीं।
5. पंडित दीनदयाल उपाध्याय के बचपन में एक ज्योतिषी ने उनकी जन्मकुंडली देख कर भविष्यवाणी की थी कि यह बालक आगे चलकर एक महान विद्वान एवं विचारक और राजनेता और निस्वार्थ सेवाव्रती होगा।
6. दीनदयाल 3 वर्ष के भी नहीं हुए थे, कि उनके पिता का देहांत हो गया और उनके 7 वर्ष की उम्र में मां रामप्यारी का भी निधन हो गया था।
7. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आएं, आजीवन संघ के प्रचारक रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने साप्ताहिक समाचार पत्र पांचजन्य और दैनिक समाचार पत्र स्वदेश शुरू किया था।
8. पंडित दीनदयाल उपाध्याय मात्र राजनेता नहीं थे, वे उच्च कोटि के चिंतक, विचारक और लेखक भी थे। उन्होंने शक्तिशाली और संतुलित रूप में विकसित राष्ट्र की कल्पना की थी।
9. 21 अक्टूबर 1951 को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई।
10. 1952 में इसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में हुआ और दीनदयाल उपाध्याय जी इस दल के महामंत्री बने तथा 1967 तक वे भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे।
11. अंत्योदय का नारा देने वाले दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि अगर हम एकता चाहते हैं, तो हमें भारतीय राष्ट्रवाद को समझना होगा, जो हिंदू राष्ट्रवाद है और भारतीय संस्कृति हिंदू संस्कृति है।
12. पं. दीनदयाल उपाध्याय ने अपनी परंपराओं और जड़ों से जुड़े रहने के बावजूद समाज और राष्ट्र के लिए उपयोगी नवीन विचारों का सदैव स्वागत किया।
13. पं. दीनदयाल का कहना था कि भारत की जड़ों से जुड़ी राजनीति, अर्थनीति और समाज नीति ही देश के भाग्य को बदलने का सामर्थ्य रखती है। कोई भी देश अपनी जड़ों से कटकर विकास नहीं कर सका है।
14. वर्ष 1951 में दीनदयाल उपाध्याय को भारतीय जनसंघ का प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया था।
15. पंडित दीनदयाल उपाध्याय का कहना था कि हमें सही व्यक्ति को वोट देना चाहिए न की उसके बटुए को, पार्टी को वोट दे किसी व्यक्ति को भी नहीं, किसी पार्टी को वोट न दे बल्कि उसके सिद्धांतों को वोट देना चाहिए।
16. वे कहते थे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की लालसा हर मनुष्य में जन्मजात होती है और समग्र रूप में इनकी संतुष्टि भारतीय संस्कृति का सार है।
17. शिक्षा एक निवेश है, हर बच्चे को शिक्षित करना वास्तव में समाज के हित में है, जो आगे चलकर समाज की सेवा करेगा।
18. पंडित दीनदयाल के अनुसार अंग्रेजी शब्द रिलीजन 'धर्म' के लिए सही शब्द नहीं है।
19. पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भाजपा का पितृपुरुष भी कहा जाता है।
20. पंडित दीनदयाल उपाध्याय सन् 1967 में कालीकट अधिवेशन में भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए और मात्र 43 दिन बाद ही 10/11 फरवरी 1968 की रात्रि में मुगलसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई थी।