वर्ल्ड रोज डे यानी विश्व गुलाब दिवस हर साल 22 सितंबर को मेलिंडा रोज की याद में मनाया जाता है। मेलिंडा छोटी थी अपने जीवन की तरंगों का ठीक से आनंद भी नहीं लिया थाकि 12 साल की उम्र में अक्सिन ट्यूमर नामक ब्लड कैंसर का शिकार हो गईं। असहनीय दर्द सहती लेकिन जिंदगी से कभी आशा नहीं छोड़ी। मेलिंडा ने 3 साल बाद 15 सितंबर 1996 को दुनिया को अलविदा कह दिया। मेलिंडा कैंसर में असहयनी दर्द को सहने के बाद भी समभाव से जीवन जी रही थीं। मेलिंडा की सबसे खुबसूरत बात यह थी कि इलाज के दौरान वह अपने अन्य साथियों को पत्र, कविताएं या मेल करके उनका हौंसला बढ़ाती थी।
फूलों का राजा गुलाब अपनी कोमलता, सुगंध, प्यार और परवाह का प्रतीक माना जाता है। कैंसर के इलाज के दौरान मरीज मानसिक और शारीरीक रूप से कई दर्द होते हैं। इसलिए उन्हें खुश रखना बहुत महत्वपूर्ण है। कैंसर पीडितों को गुलाब देकर उनके अंदर आशा की किरण पैदा की जाती है, संबल बढ़ाया जाता है। 22 सितंबर को हर साल पूरे विश्व में यह दिन मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न प्रकार के कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ाई जाती है। कैंसर पीड़ितों के साथ अधिक से अधिक समय बिताया जाता है। साथ ही कैंसर पीड़ितों की देखभाल कर रहे केयरटेकर्स का भी ख्याल रखा जाता है।
गौरतलब है कि कैंसर पीड़ितों के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं, असामन्य कोशिकाएं बढ़ जाती है। आम इंसान के शरीर के कोशिकाएं पुरानी होने के बाद टूट कर मर जाती है, और नई कोशिकाएं उत्पन्न हो जाती है। लेकिन कैंसर में ऐसा नहीं होता है इस दौरान पुरानी कोशिकाएं मरती नहीं है और वह अनियंत्रित होने लग जाती है। जो ट्यूमर बन जाता है। मेलिंडा रोज ने इलाज के दौरान अपने जैसे कई कैंसर पीड़ितों की मदद करने के लिए पिता और भाई के साथ मिलकर एक वेबसाइट तैयार की। इसके बाद से उन्हें ''कैंसर किड्स'' कहा जाने लगा था। मेलिंडा ने अपने आखिरी वक्त में कहा था, ' जिंदगी बहुत बेहतर है, जब आप उन चीजों पर ध्यान केंद्रीत करते हैं जो आप कर सकते हैं और जो आपके पास है। बल्कि उन चीजों के बारे में चिंता करने की बजाए जो आप नहीं कर सकते हैं और आपके पास नहीं है।'