दूध शाकाहारी है या मांसाहार इस संबंध में अभी तक बहस और रिसर्च जारी है। कुछ लोग मानते हैं कि यह शाकाहरी है और कुछ इसे मांसाहार के अंतर्गत मानते हैं। इसके अलावा भी दूध के संबंध में कई चौंकाने वाले फैक्ट हैं जिन्हें जानकार आप हैरान रह जाएंगे।
1. क्या सफेद रक्त है दूध? दूध को कई लोग सफेद रक्त मानते हैं। दुनिया में ऐसा कोई भी भोजन नहीं है जिसे शाकाहारी भोजन के अंतर्गत रखा जा सकता हो। ऐसे में दूध को सफेद रक्त की श्रेणी में रखने वाले लोग भी मिल ही जाएंगे। प्राचीनकाल से लेकर आज तक दूध के शाकाहारी अथवा मांसाहारी होने को लेकर बहस चलती रही है। इस विषय पर कई शोध होने के बावजूद अब तक यह साबित नहीं हो पाया है कि दूध को किस श्रेणी में रखा जाए। हालांकि प्रोटेस्टेंट ईसाइयों ने तो 17वीं शताब्दी से ही दूध और इससे बनने वाले अन्य पदार्थों का निषेध शुरू कर दिया था। इस शाखा का मानना था कि दूध मांसाहारी भोजन है।
2. दूध पीने के फायदे : दूध से दही, छाछ, मक्खन और घी बनता है। गाय का दूध कई प्रकार के रोगों में लाभदायक सिद्ध हुआ है, तो बकरी का दूध औषधीय गुणों के कारण विशेष गंध वाला होता है और इसमें भी खांसी, रक्त-पित्त, अतिसार, तेज बुखार दूर करने की क्षमता होती है। यदि तेज बुखार है तो बकरी के दूध की खीर बनाकर खाएंगे तो बुखार दूर हो जाएगा। दूध पीते रहने से कभी हड्डियां कमजोर नहीं होतीं। जिन्होंने बचपन में बहुत दूध पिया है बुढापे में उनकी हड्डियां मजबूत रहती हैं। दूध में खनिज, वसा, कैल्शियम, राइबोक्लेविन, विटामिन और प्रोटीन होता है, जो हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए जरूरी है। इसके अलावा इसमें फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन भी होता है।
एक अध्ययन में कहा गया है कि दूध न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर रहता है बल्कि इससे ब्रेन पॉवर पर सकारात्मक असर पड़ता है और मानसिक क्षमता तेज होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मायने के शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो वयस्क अधिक दूध पीते हैं उनकी स्मरण शक्ति उन लोगों की तुलना में काफी बेहतर होती है, जो कम दूध पीते हैं। दूध का अधिक सेवन करने वाले लोग उन लोगों की तुलना में 5 गुना अधिक सक्रिय और स्मरण शक्ति के लिहाज से बेहतर होते हैं, जो कम दूध पीते हैं। 'इंटरनेशनल डेयरी जर्नल' की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ मायने में किए गए एक शोध से यह बात साबित हो चुकी है कि जो लोग रोजाना कम से कम 1 गिलास दूध पीते हैं, वे उन लोगों की तुलना में हमेशा मानसिक और बौद्धिक तौर पर बेहतर स्थिति में होते हैं, जो दूध का सेवन नहीं करते।
3. प्राचीनकाल में क्यों पीते थे लोग दूध : प्राचीनकाल में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं नहीं होती थीं तो दूध जैसे पेय पदार्थ ही जीवन की रक्षा करते थे। तब दूध जैसे पेय पदार्थ ही बच्चों, महिलाओं और बूढ़ों को शक्ति प्रदान करते थे। उस काल में व्यक्ति को दूध पीकर ही अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर ही रखना होता था। परंतु आज जब सभी तरह की आकस्मिक चिकित्सा उपलब्ध है, तो वायु प्रदूषण और खराब भोजन के चलते व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो रही है। ऐसे में शुद्ध दूध की उपयोगिता और बढ़ जाती है।
4. गाय का दूध : गाय का दूध पीने से शक्ति का संचार होता है। यह हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। हाथ-पांव में जलन होने पर गाय के घी से मालिश करने पर आराम मिलेगा। गाय के दूध से रेडियो एक्टिव विकिरणों से होने वाले रोगों से भी बचा जा सकता है। गाय का दूध फैटरहित, परंतु शक्तिशाली होता है। उसे पीने से मोटापा नहीं बढ़ता तथा स्त्रियों के प्रदर रोग आदि में लाभ होता है।* गाय के घी व गोबर से निकलने वाले धुएं से प्रदुषणजनित रोगों से बचा जा सकता है। गाय का दूध व घी अमृत के समान हैं। गाय के दूध का प्रतिदिन सेवन अनेक बीमारियों से दूर रखता है। आयुर्वेद के अनुसार गाय के ताजा दूध को ही उत्तम माना जाता है।
5. आदमी पीता है पशु का दूध : ओशो रजनीश कहते हैं कि कोई भी पशु बचपन के कुछ समय के बाद दूध नहीं पीता, सिर्फ आदमी को छोड़कर। पशु को जरूरत भी नहीं है। शरीर का काम पूरा हो जाता है। सभी पशु दूध पीते हैं अपनी मां का, लेकिन दूसरों की माताओं का दूध सिर्फ आदमी पीता है और वह भी आदमी की माताओं का नहीं, जानवरों की माताओं का भी पीता है। बच्चा एक उम्र तक दूध पिए, ये नैसर्गिक है। इसके बाद दूध समाप्त हो जाना चाहिए। सच तो यह है, जब तक मां का स्तन से बच्चे को दूध मिल सके, बस तब तक ठीक है, उसके बाद दूध की आवश्यकता नैसर्गिक नहीं है। बच्चे का शरीर बन गया।... परंतु बड़े होने के बाद भी लोग दूध पिए जा रहे हैं।
6. दूध है कामोत्तेजकर आहार : ओशो रजनीश कहते हैं कि दूध असल में अत्यधिक कामोत्तेजक आहार है और मनुष्य को छोड़कर पृथ्वी पर कोई पशु इतना काम-वासना से भरा हुआ नहीं है और उसका एक कारण दूध है। दूध बड़ी अद्भुत बात है और आदमी की संस्कृति में दूध ने न मालूम क्या-क्या किया है, इसका हिसाब लगाना कठिन है। इसलिए वात्सायन ने 'कामसूत्र' में कहा है कि हर संभोग के बाद पत्नी को अपने पति को दूध पिलाना चाहिए, ठीक कहा है। दूध जिस बड़ी मात्रा में वीर्य बनाता है और कोई चीज नहीं बनाती, क्योंकि दूध जिस बड़ी मात्रा में खून बनाता है और कोई चीज नहीं बनाती। खून बनता है, फिर खून से वीर्य बनता है। तो दूध से निर्मित जो भी है, वह कामोत्तेजक है। इसलिए महावीर स्वामी ने कहा है, वह उपयोगी नहीं है। खतरनाक है, कम से कम ब्रह्मचर्य के साधक के लिए खतरनाक है।
जब गायें दूध पैदा करती हैं तो आदमी के बच्चे के लिए पैदा नहीं करतीं, सांड के लिए पैदा करती हैं। और जब आदमी का बच्चा पिये उस दूध को और उसके भीतर सांड जैसी काम-वासना पैदा हो जाए, तो इसमें कुछ आश्चर्य नहीं है। वह आदमी का आहार नहीं है। और आज नहीं कल, हमें समझना पड़ेगा कि अगर आदमी में बहुत-सी पशु प्रवृत्तियां हैं तो कहीं उनका कारण पशुओं का दूध तो नहीं है। अगर उसकी पशु प्रवृत्तियों को बहुत बल मिलता है तो उसका करण पशुओं का आहार तो नहीं है। दूध मांसाहार का हिस्सा है। दूध मांसाहारी है, क्योंकि मां के खून और मांस से निर्मित होता है। शुद्धतम मांसाहार है इसलिए जैनी, जो अपने को कहते हैं हम गैर-मांसाहारी हैं, कहना नहीं चाहिए, जब तक वे दूध न छोड़ दें।
7. दूध पीने के नुकसान : मथुरा के 'पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय एवं गौपाल अनुसंधान संस्थान' में नेशनल ब्यूरो ऑफ जैनेटिक रिसोर्सिज, करनाल (नेशनल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च, भारत सरकार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. देवेन्द्र कुमार सदाना द्वारा एक शोध में बताया गया था कि अधिकांश विदेशी गौवंश (हॉलस्टीन, जर्सी, एचएफ आदि) के दूध में 'बीटा कैसीन ए 1' नामक प्रोटीन पाया जाता है जिससे अनेक असाध्य रोग पैदा होते हैं।
पांच रोग होने के स्पष्ट प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं-1. इस्चीमिया हार्ट डिजीज (रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरुद्ध होना)। 2. मधुमेह-मिलाइटिस या डायबिटीज टाइप-1 पैंक्रियाज का खराब होना जिसमें इंसुलिन बनना बंद हो जाता है।) 3. आटिज्म (मानसिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म होना)। 4. सीजोफ्रेनिया (स्नायु कोषों का नष्ट होना तथा अन्य मानसिक रोग)। 5. सडन इनफैण्ट डेथ सिंड्रोम (बच्चे किसी ज्ञात कारण के बिना अचानक मरने लगते हैं)।
उल्लेखनीय है कि दूध का ज्यादा सेवन नुकसानदायक होता है।- अनिरुद्ध जोशी शतायु