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क्‍यों हो रही मनुष्य की ‘मौत का फैसला’ करने वाले ‘कि‍लर रोबोट्स’ को बैन करने की मांग

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, सोमवार, 27 दिसंबर 2021 (13:30 IST)
आपने कई फि‍ल्‍मों में रोबोट्स देखे होंगे, आजकल रोबोट का ही जमाना है, कहा जाता है कि जल्‍दी ही रोबोट्स इंसानी जीवन पर अपना कब्‍जा जमा लेंगे। आजकल इन्‍हीं रोबोट्स को लेकर बहस चली हुई है।  इन राबोट्स को बैन करने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर ‘स्‍टॉप किलर रोबोट्स’ नाम का अभि‍यान चलाया जा रहा है।

हाल में ऐसे रोबोट्स पर बैन लगाने के लिए UN की पहल पर जेनेवा में हुई 125 सदस्य देशों वाले समूह CCW की बैठक हुई। बैठक बेनतीजा रही।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबि‍क, दुनिया के कई ताकतवर देश ‘किलर रोबोट्स’ पर बैन लगाने के पक्ष में नहीं हैं। वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो दुनियाभर के ज्‍यादातर ताकतवार देश ही इन्‍हें तैयार करने के लिए बड़े स्‍तर पर निवेश कर रहे हैं।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखि‍र किलर रोबोट्स क्‍या है और कैसे यह इंसानी जीवन के लिए खतरा बन रहे हैं।
आसान भाषा में समझें तो ये रोबोट से ज्‍यादा एक मशीन हैं। ऐसी मशीनें जो कई तरह के खतरनाक हथि‍यारों से लैस हैं। इससे भी ज्‍यादा चौंकाने वाली बात है कि इन्‍हें एक्‍शन लेने के लिए इंसान की जरूरत नहीं होती।

इन्‍हें इंसान नहीं ऑपरेट करते। इनकी बॉडी में सेंसर लगे हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस हैं। यही दोनों चीजें इनके लिए दिमाग का काम करती हैं। इन्‍हीं के आधार पर ये किलर रोबोट्स एक्‍शन लेते हैं। ये सही और गलत चीजों में फर्क समझ सकें, इसे बेहतर करने के लिए वैज्ञानिक जुटे हुए हैं।

वैज्ञानिक इनकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इमेज रिकग्निशन की खूबी में सुधार कर रहे हैं। इनका खुद से निर्णय लेना इंसानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए दुनियाभर के कई देशों में इसे बैन करने की मांग की जा रही है। इन्‍हें लीथल ऑटोनॉमस वेपंस सिस्टम (LAWS) भी कहा जाता है।

आखिर क्‍यों हो रहा विरोध
ऐसे रोबोट्स को बैन करने के लिए अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर ‘स्‍टॉप किलर रोबोट्स’ नाम का अभि‍यान चलाया जा रहा है। इस अभियान के  समन्वयक रिचर्ड मोयस का कहना है, मशीनों के जरिए लोगों की हत्‍या के खिलाफ सरकारों को एक नैतिक और कानूनी लकीर खींचने की जरूरत है। किलर रोबोट के आलोचक पीटर मौरर का कहना है, इंसान के जीवन और मौत का फैसला सेंसर, सॉफ्टवेयर और मशीनों वाले ऑटोनॉमस वेपंस सिस्टम पर छोड़ना समाज के लिए चिंता पैदा करने वाला है।

जीवन और मौत का फैसला मशीनों पर छोड़ना मानवता के लिए खतरा है। इंसान की जिंदगी का फैसला करने का अधि‍कार मशीनों या ऐसे रोबोट्स को देना ठीक नहीं है, क्‍योंकि इनके लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि हाथ में झंडा थामे इंसान और बंदूक थामे दुश्‍मन में किस हद तक अंतर है, इसलिए इन पर बैन लगाना जरूरी है।
एक किलर रोबोट्स के लिए यह तय करना मुश्किल होगा कि कौन सा सैनिक हमला कर सकता है और कौन आत्‍मसमर्पण के लिए तैयार है।

कौन-कौन से देश बना रहे किलर रोबोट
एक तरफ जहां इनका विरोध हो रहा है वहींए दूसरी तरफ ऐसी खतरनाक मशीनों को बनाने में दुनिया के कई देश शामिल हैं। ये इसलिए किया जा रहा ताकि भविष्‍य में होने वाली वॉर में इनका इस्‍तेमाल किया जा सके। इन्‍हें बनाने में रूस चीन, अमेरिका, फ्रांस, इजरायल और ब्रिटेन सबसे आगे हैं।

ये देश किलर रोबोट्स को तैयार करने के लिए करोड़ों डॉलर खर्च कर चुके हैं। वहीं, अमेरिका एक कदम और आगे चल रहा है। यहां जल, थल और वायु सेना को किलर रोबोट से लैस करने की योजना है।

चीन पहले ही कह चुका है कि वो किलर रोबोट रोबोट्स को विकसित करने वाली तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का 2030 तक ग्लोबल लीडर होगा।

किलर रोबोट्स का सपोर्ट करने वाले देशों का कहना है, युद्ध की स्थि‍ति में ये रोबोट्स इंसानी सैनिकों को बचाएंगे और बेहतर निर्णय लेंगे। इसके अलावा जहां भी इंसान को खतरा महसूस होगा, वहां ऐसे किलर रोबोट्स की तैनाती की जा सकेगी।

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