why would cockroaches survive a nuclear blast : धरती पर जीवन की विविधता अद्भुत है। विशालकाय हाथी से लेकर सूक्ष्म जीवाणु तक, हर जीव अपने आप में अनोखा है। लेकिन एक जीव ऐसा भी है, जिसके बारे में सुनकर अक्सर हैरानी होती है - कॉकरोच। ये छोटे, फुर्तीले और अक्सर अवांछित मेहमान न केवल घरों में घुसपैठ करते हैं, बल्कि इनकी उत्तरजीविता की क्षमता भी अविश्वसनीय है। क्या यह सच है कि परमाणु युद्ध के बाद भी कॉकरोच बचे रहेंगे? आइए, इस दिलचस्प सवाल के साथ कॉकरोच से जुड़ी कुछ और हैरान करने वाली बातें जानते हैं।
यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि क्या परमाणु विस्फोट के बाद सिर्फ कॉकरोच ही जीवित बचेंगे। इसके पीछे की वजह है उनकी असाधारण विकिरण प्रतिरोधक क्षमता। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए थे, तो वहां के वातावरण में भारी मात्रा में विकिरण फैल गया था। आश्चर्यजनक रूप से, उस विनाशकारी मंजर के बाद भी कुछ जीव जीवित पाए गए थे, और उनमें कॉकरोच भी शामिल थे। इस घटना ने कॉकरोच की विकिरण सहने की क्षमता को लेकर जिज्ञासा और भी बढ़ा दी।
कितना विकिरण झेल सकते हैं कॉकरोच?
वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि कॉकरोच इंसानों की तुलना में कहीं अधिक मात्रा में विकिरण झेल सकते हैं। जहां एक इंसान के लिए 500 से 1000 रेंटजन (radiation unit) विकिरण जानलेवा हो सकता है, वहीं कॉकरोच लगभग 6,400 से 10,000 रेंटजन तक विकिरण को सहन कर सकते हैं। इसका मतलब है कि वे इंसानों की तुलना में 6 से 10 गुना अधिक विकिरण झेल सकते हैं।
हालांकि, यह कहना गलत होगा कि परमाणु युद्ध के बाद सभी कॉकरोच बच जाएंगे। उच्च स्तर का विकिरण निश्चित रूप से उनकी आबादी को भी प्रभावित करेगा। लेकिन उनकी सहनशीलता उन्हें अन्य जीवों की तुलना में बेहतर मौका देती है कि वे ऐसे भयावह परिदृश्य में भी जीवित रहें।
धरती पर इंसानों से 100 गुना ज्यादा वक्त तक जिंदा हैं कॉकरोच
खा जाता है कि कॉकरोच लगभग 300 मिलियन वर्षों से पृथ्वी पर मौजूद हैं। इसकी तुलना में, आधुनिक मानव (होमो सेपियंस) का इतिहास लगभग 3 लाख वर्ष पुराना है। इस लिहाज से, कॉकरोच निश्चित रूप से धरती पर इंसानों से कहीं अधिक लंबे समय से हैं और उन्होंने कई बड़े पर्यावरणीय बदलावों को झेला है। उनकी यह दीर्घायु और अनुकूलन क्षमता ही उन्हें इतना लचीला बनाती है।
45 मिनट तक बिना हवा के रह लेते हैं कॉकरोच
यह भी एक अविश्वसनीय तथ्य है कि कॉकरोच लगभग 45 मिनट तक बिना सांस लिए जीवित रह सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका श्वसन तंत्र इंसानों की तरह एक केंद्रीय प्रणाली पर निर्भर नहीं करता है। उनके शरीर पर छोटे-छोटे छिद्र होते हैं जिन्हें स्पाइरेकल्स (spiracles) कहते हैं, जिनके माध्यम से वे सीधे अपने ऊतकों तक ऑक्सीजन पहुंचा सकते हैं। यह क्षमता उन्हें उन परिस्थितियों में भी जीवित रहने में मदद करती है जहां ऑक्सीजन की कमी हो।
माउंट एवरेस्ट पर भी चढ़ जाते हैं कॉकरोच
कॉकरोच विभिन्न प्रकार के वातावरण में जीवित रह सकते हैं। माउंट एवरेस्ट की अत्यधिक ऊंचाई, कम तापमान और विरल हवा में कॉकरोच प्रजाति यूपोलिफेगा एवरेस्टियाना पाई जाती है। आमतौर पर, कॉकरोच गर्म और नम वातावरण पसंद करते हैं। हालांकि, कुछ प्रजातियां ठंडे तापमान को भी कुछ हद तक सहन कर सकती हैं।
तो फिर कीटनाशक से कैसे मारे जाते हैं कॉकरोच?
अगर कॉकरोच इतने ही प्रतिरोधी हैं, तो फिर वे कीटनाशकों से कैसे मर जाते हैं? दरअसल, कीटनाशक कॉकरोच के तंत्रिका तंत्र या पाचन तंत्र पर हमला करते हैं। ये रसायन इतने शक्तिशाली होते हैं कि कॉकरोच की मजबूत शारीरिक क्षमता भी उनके सामने टिक नहीं पाती। हालांकि, यह भी सच है कि समय के साथ कॉकरोच कुछ कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं, जिसके कारण नए और अधिक प्रभावी कीटनाशकों की आवश्यकता होती रहती है।
जानिए कॉकरोच से जुड़ी कुछ और रोचक बातें:
• कॉकरोच सर्वाहारी होते हैं और लगभग कुछ भी खा सकते हैं, जिसमें कागज, बाल और मरे हुए कीड़े भी शामिल हैं।
• मादा कॉकरोच अपने पूरे जीवनकाल में सैकड़ों अंडे दे सकती है।
• कुछ कॉकरोच प्रजातियां बिना सिर के भी कई दिनों तक जीवित रह सकती हैं। उनकी मृत्यु का कारण भूख और प्यास होती है, न कि सिर का न होना।
• कॉकरोच बहुत तेज दौड़ सकते हैं, खासकर खतरे की स्थिति में।
• दुनिया भर में कॉकरोच की लगभग 4,500 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन इनमें से केवल कुछ ही प्रजातियां घरों में पाई जाती हैं।
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