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दीमापुर में हैं शतरंज की विशालकाय गोटियां या कुछ और..

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अनिरुद्ध जोशी

भारतीय राज्य नागालैंड के दीमापुर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। यहां हिडिंबा नाम से एक वाड़ा है, जहां राजवाड़ी में स्थित शतरंज की ऊंची-ऊंची गोटियां हैं जो चट्टानों से निर्मित है।  शतरंज की इतनी विशालकाय गोटियों नो देखना पर्यटकों के लिए आश्चर्य में डालने वाला ही होता है। हालांकि इनमें से अब कुछ गोटियां टूट चुकी है।
भीम की पत्नी हिडिम्बा यहां की राजकुमारी थीं: दीमापुर कभी हिडिंबापुर के नाम से जाना जाता था। इस जगह महाभारत काल में हिडिंब राक्षस और उसकी बहन हिडिंबा रहा करते थे। यही पर हिडिंबा ने कुंति-पवनपुत्र भीम से विवाह किया था। यहां रहने वाली डिमाशा जनजाति के लोग खुद को भीम की पत्नी हिडिंबा का वंशज मानते हैं।
 
भीम और घटोत्कच खेलते थे इस शतरंज से : यहां के निवासियों कि मान्यता है कि इन गोटियों से भीम और उसका पुत्र घटोत्कच शतरंज खेलते थे। इस जगह पांडवो ने अपने वनवास का काफी समय गुजारा किया था।
 
मान्यता अनुसार जब वनवास काल में पांडवों का महल षड़यंत्र के चलते जलकर खाक हो गया था तब वे एक गुप्त रास्ते से वहां से एक दूसरे वन में चले गए थे। इस वन में हिडिंब नामक राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ करता था।
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कहते हैं कि एक दिन हिडिंब ने अपनी बहन हिडिंबा को वन में भोजन की तलाश करने के लिए भेजा और इसी दौरान राक्षसी हिडिंबा ने भीम को देख लिया। बलशाली भीम को देखकर राक्षसी हिडिंबा का मान भीम पर आ गया। उसने इस प्रेम के चलते भीम और उसके परिवार को छोड़ दिया।
 
जब हिडिंब को यह पता चलता तो उसने पाण्डवों पर हमला बोल दिया। भीम का हिडिंब से भयानक युद्ध हुआ और अंतत: हिडिंब मारा गया। हिडिंब की मौत के बाद हिडिंबा और भीम का विवाह हुआ और कुछ काल तक भीम वहीं रहे। विवाह उपरान्त भीम और हिडिम्बा को घटोत्कच नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। घटोत्कच अपनी मां के समान विशाल काया वाला निकला।

अगले पन्ने पर जानिए इसकी दूसरी सचाई इतिहासकारों की नजर में....

कछारी राज्य के खंडहर : हालांकि कुछ इतिहासकार मानते हैं कि यह कछारी राज्य के अवशेष हैं। मशरूम के आकार के ये खंभे कछारी खंडहर के हिस्से हैं। दीमापुर कछारी राज्य की प्राचीन राजधानी थी। यह महापाषाण युग के महत्वपूर्ण स्थलों में से एक है। हिन्दू राज्य कछारी पर 13वीं सदी में अहोम राजाओं ने आक्रमण किया जिसके चलते यह राज्य तहस-नहस हो गया था। यह खंडहर उसी आक्रमण का सबूत है।
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सबसे प्रसिद्ध कछारी खंडहर के बीच केवल पत्थर का खंभा खड़ा है। इस खंभे के अलावा, इस जगह पर मंदिरों, टंकियों और तटबंधों के कई खंडहर हैं। विभिन्न डिजाइनों के बिखरे हुए पत्थर के टुकड़े भी आसपास पाए जाते हैं।
संकलन : अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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