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क्या आजीवन कारावास और उम्र कैद में अंतर है? जानिए सच्चाई

हमें फॉलो करें क्या आजीवन कारावास और उम्र कैद में अंतर है? जानिए सच्चाई

WD Feature Desk

, शनिवार, 4 जनवरी 2025 (17:06 IST)
life imprisonment

 Interesting facts about life imprisonment: किसी अपराध की सजा के प्रावधान में आजीवन कारावास या उम्र कैद जैसे शब्दों का इस्तेमाल आपने भी सुना होगा। आजीवन कारावास और उम्र कैद, ये दोनों शब्द अक्सर एक-दूसरे के पर्यायवाची समझ लिए जाते हैं। लेकिन क्या वाकई इनमें कोई अंतर है? आइए आज इस आलेख में आपके इसी संशय का समाधान करते हैं और आजीवन कर विकास या उम्र कैद के बारे में विस्तार से जानते हैं।

आम धारणा और सच्चाई
आम तौर पर लोग आजीवन कारावास और उम्र कैद को एक ही समझते हैं। ऐसा माना जाता है कि उम्र कैद की सजा 14 या 20 साल की होती है। लेकिन क्या यह सच है?

सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि आजीवन कारावास और उम्र कैद दोनों का मतलब एक ही है। इसका मतलब है कि दोषी को अपनी पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी।

14 या 20 साल में रिहाई क्यों?
अक्सर यह सवाल उठता है कि अगर उम्र कैद का मतलब जीवनभर जेल में रहना है तो फिर 14 या 20 साल बाद कैदी को रिहा क्यों कर दिया जाता है? इसका जवाब यह है कि कई बार राज्य सरकार कैदी के अच्छे व्यवहार को देखते हुए उसे रिहा कर सकती है। लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि हर कैदी को 14 या 20 साल बाद ही रिहा किया जाए। यह पूरी तरह से राज्य सरकार के विवेक पर निर्भर करता है।

उम्र कैद में रिहाई के लिए शर्तें
•          अच्छा व्यवहार: कैदी को जेल में रहते हुए अच्छा व्यवहार करना होगा।
•          पश्चाताप: कैदी को अपने अपराध पर पश्चाताप करना होगा।
•          सुधार: कैदी को खुद को सुधारने का प्रयास करना होगा।

किन अपराधों में होती है उम्र कैद की सजा?
उम्र कैद की सजा आमतौर पर गंभीर अपराधों जैसे हत्या, बलात्कार, डकैती आदि में दी जाती है। हालांकि, यह अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है।

उम्र कैद और आजीवन कारावास में कोई अंतर नहीं
आपने देखा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, आजीवन कारावास और उम्र कैद दोनों का मतलब एक ही है। यह दोनों शब्द एक ही सजा को दर्शाते हैं।
अतः, आजीवन कारावास और उम्र कैद में कोई अंतर नहीं है। दोनों का मतलब है कि दोषी को अपनी पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी। हालांकि, कुछ मामलों में राज्य सरकार कैदी को अच्छे व्यवहार के आधार पर रिहा कर सकती है।



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