भारत में यूं हो हजारों झरने हैं। चचाई का जलप्रपात, भेड़ाघाट धुआंधार, जोग जलप्रपात, शिवसमुद्रम जलप्रपात आदि सैंकड़ों जलप्रताप है, परंतु मेघालय के चेरापूंजी के पास नोकालीकाई झरना झरने को भारत का सबसे दु:खद झरना माना जाता है। आओ जानते हैं इसके बारे में संक्षिप्त में।
नोकालीकाई झरना, मेघालय :
1. चेरापूंजी के पास यह भारत का सबसे ऊंचा उपर से गिरने वाला झरना है जो कि 1115 फीट की ऊंचाई से गिरता है।
2. बरसात के पानी से बनने वाले इस झरने का नामकरण एक महिला 'का लीकाई' की दुखद कहानी पर आधारित है।
3. अपने पति की मौत के बाद का लीकाई ने दोबारा विवाह किया, लेकिन उसका दूसरा पति उसकी सौतेली बेटी के प्रति मां के प्यार को लेकर बहुत ही ईर्ष्यालु था। उसने बेटी की हत्या कर दी और उसके अंगों का भोजन बना दिया।
4. का लीकाई ने अपनी बेटी को हर जगह खोजा लेकिन उसे पा नहीं सकी। वह थक कर चूर अपने घर पहुंचती है और उसका पति उसको भोजन देता है। खाने के बाद वह यह देखकर भयभीत हो जाती है कि उसकी बेटी की अंगुलियां सुपारी से भरी टोकरी में पड़ी हैं।
5. दुख और शोक से भरी मां झरने से गिरकर अपनी जान दे देती है। इस तरह इस झरने का नाम 'का लिकाई का झरना' हो गया।