समुद्र को सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु, रत्नाकर, वारिधि आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अंग्रेजी में इसे सी (sea) कहते और महासागर को ओशन (ocean) कहते हैं। पृथ्वी की 70.92 प्रतिशत सतह समुद्र से ढंकी है। इसका आशय यह हुआ कि पृथ्वी के लगभग 36,17,40,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में समुद्र है। दुनिया का सबसे बड़ा समुद्र प्रशांत महासागर है जो अमेरिका और एशिया को पृथक करता है।
1. प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर, हिन्द महासागर, आर्कटिक महासागर तथा दक्षिणी महासागर कुल 5 महासागर हैं। प्रशांत महासागर तथा अटलांटिक महासागर का विस्तार उत्तरी गोलार्द्ध तथा दक्षिणी गोलार्द्ध दोनों जगह है इसलिए भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित उत्तरी प्रशांत महासागर तथा दक्षिण में स्थित दक्षिणी प्रशांत महासागर स्थित हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर 7 महासागर या 7 समंदर हैं।
2. विश्व का सबसे विशाल महासागर प्रशांत महासागर है जिसका क्षेत्रफल लगभग 16,62,40,000 वर्ग किलोमीटर है। यह विश्व के सभी महासागरों का 45.8 प्रतिशत है। इसका क्षेत्रफल 6,36,34,000 वर्ग मील, अर्थात अटलांटिक महासागर के दुगुने से भी अधिक है। यह फिलिपींस तट से लेकर पनामा 9,455 मील चौड़ा तथा बेरिंग जलडमरूमध्य से लेकर दक्षिण अंटार्कटिका तक 10,492 मील लंबा है।
3. प्रशांत महासागर विश्व का सबसे गहरा सागर भी है। इसकी औसत गहराई 3939 मीटर है संभवत: औसत गहराई लगभग 14,000 फुट है तथा अधिकतम गहराई लगभग 35,400 फुट है। यह गहराई ग्वैम और मिंडानो के मध्य में है। प्रशांत महासागर विश्व महासागरीय घाटियों में सबसे बड़ा और सबसे गहरा है। तुलनात्मक भौगौलिक अध्ययन से पता चलता है कि इस महासागर में जमीन का भाग कम तथा जलीय क्षेत्र अधिक है।
4. प्रशांत महासागर से हिंद महासागर जुड़ा हुआ है। इसका उत्तरी किनारा केवल 36 मील का बेरिंग जलडमरूमध्य द्वारा आर्कटिक सागर से जुडा है। यह महासागर अटलांटिक महासागर का सहवर्ती है। इसके पूर्वी किनारे पर पर्वतों का क्रम फैला है या समुद्री मैदान बहुत ही संकरे है। इसी कारण यहां अच्छे अच्छे बंदरगाहों का अभाव है। बेरिंग जलडमरूमध्य बर्फ से जमा रहता है, जिससे यातायात में बाधा पड़ती है। इसके विपरीत इसके पश्चिमी किनारे पर पर्वत नहीं है। बल्कि कई द्वीप, खाड़ियां, प्रायद्वीप तथा डेल्टा हैं। पश्चिमी किनारे पर जापान, फिलिपींस, हिंदेशिया आदि के लगभग 7,000 द्वीप हैं। इस किनारे पर विश्व की बड़ी-बड़ी नदियां इसमें विसर्जित हो जाती हैं, जिनके डेल्टाओं में घनी जनसंख्या बसी है तथा अच्छे अच्छे बंदरगाह हैं।
5. प्रशांत महासागर के भीतर जल जंतुओं की एक रहस्यमयी दुनिया है जिस पर अभी भी खोज जारी है। यह समस्त भूभाग से ला मील अधिक क्षेत्र में फैला है। इसका इतने बड़े क्षेत्र में फैले होने के कारण यहाँ के निवासी, वनस्पति, पशु तथा मनुष्यों की रहन-सहन में पृथ्वी के अन्य भागों के सागरों की अपेक्षा बड़ी विभिन्नता है।
6. वैज्ञानिक खजकर्ताओं और साहसिक नाविकों द्वारा इस महासागर के विषय में अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास किया जाता रहा है परंतु अभी भी इसको पूर्णत: नहीं समझा गया है। सबसे पहले पेटरब्युक महोदय ने इसके बारे में पता लगाना आरंभ किया था। इसके पश्चात् बैलबोआ, मागेमेनदान्या, हॉरिस, कुकु आदि यूरोपियनों ने इस महासागर के बारे में कई तरह की जानकारियां जुटाई हैं। प्रशांत महासागर के गर्भ के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए अब भी निरंतर अन्वेषण जारी हैं।