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एक ऐसा विचित्र सागर जिसके आसपास नहीं है कोई भूमि

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अनिरुद्ध जोशी

आप यह तो जानते ही हैं कि किसी भी तालाब, नदी या समंदर के आसपास भूमि होती है तभी तो उसमें जल संवरक्षित हो पाता है। जैसे हिंद महासागर का एक छोर कन्याकुमारी है तो दूसरा ऑस्ट्रेलिया। कई समुद्र या सागर तो चारों ओर से भूमि से घिरे होते हैं। मतलब यह कि किसी भूमि के बीच ही होता है कोई सा भी समुंदर। लेकिन एक ऐसा भी सागर है जिसके आसपास कोई भूमि नहीं है।
 
 
आप यह तो जानते होंगे कि छोटे सागर किसी महासागर में कहां मिल जाते हैं पता नहीं चलता। इसी तरह एक ऐसा सागर है जिसके किसी किनारे कोई भूमि नहीं है बस समुद्र ही समुद्र है। इस समुद्र या सागर का नाम है सारगास्सो या सारगैसो सागर। ये अटलांटिक सागर के पश्चिम में है और उत्तर अटलांटिक में एक तरफ को मुड़ती लहरें ही इसकी सीमा बनाती हैं।


 
उत्तरी अटलांटिक महासागर में 20 से 40 डिग्री उत्तरी अक्षांशों और 35 से 75 डिग्री पश्चिमी देशांतरों के मध्य चारों ओर प्रवाहित होने वाली जलधाराओं के मध्य स्थित शांत और स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर के नाम से जाना जाता है। इसके तट पर मोटी समुद्री घास तैरती हुई दिखती है। इस घास को पुर्तगाली भाषा में सारगैसम कहते हैं, जिसके कारण ही इसका नाम सारगैसो सागर पड़ा। सारगैसम एक बिना जड़ की घास होती है। यहां पर गर्म और ठंडी दोनों धाराएं मिलती हैं। सारगैसो सागर का क्षेत्रफल 11000 वर्ग किलोमीटर है। इसके आस-पास कई मीलों तक आपको जमीन देखने को नहीं मिलेगी।
 
 
बरमूडा ट्रायंगल कुछ दूर यह सागर गल्फ स्ट्रीम से पश्चिम, नॉर्थ अटलांटिक से उत्तर और कैनरी करंट के पूर्व में ये समुद्र स्थित बताया जाता है। मतबल इसकी स्थिति का अनुमान एक नाविक ही लगा सकता है। कोई जमीनी सपोर्ट न होने के कारण ये समुद्र हवा के अनुसार अपनी स्थिति बदलता रहता है। हैरानी की बात ये है कि अटलांटिक में भीषण ठण्ड होने के बावजूद भी ये समुद्र गर्म रहता है।
 

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