Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सूबेदार मल्हार राव की तलवार से ब्याही गई थीं हरकूबाई

हमें फॉलो करें सूबेदार मल्हार राव की तलवार से ब्याही गई थीं हरकूबाई
webdunia

अपना इंदौर

सती प्रथा के साथ ही राजपुताने में खांडा रानी की परंपरा भी थी जिसके अंतर्गत वर यदि युद्ध या सैनिक अभियान में व्यस्त रहता था तो उसके खांडे (तलवार) को प्रतीक मानकर उसके साथ सात फेरे ले लिए जाते थे। ऐसे विवाहों को पूर्ण सामाजिक मान्यता प्राप्त थी। ऐसे विवाह वाली रानी को खांडा रानी कहा जाता था।
 
उक्त दोनों परंपराओं को होलकर राज्य के संस्थापक सूबेदार मल्हारराव ने भी अपनाया, क्योंकि वे अपने आपको उदयपुर घराने का वंशज मानते थे। 20 मई 1766 को इस मराठा सूबेदार की जीवनलीला समाप्त हो गई। महाप्रयाण स्थल आलमपुर (झांसी के समीप) में ही उनका दाह-संस्कार संपन्न हुआ। उनकी 2 पत्नियां द्वारकाबाई और बनाबाई होलकर, पति के पार्थिव शरीर के साथ ही सती हो गईं।
 
मल्हारराव की प्रथम पत्नी गौतमाबाई पहले ही 21 अक्टूबर 1761 में स्वर्गवासी हो चुकी थीं। उनकी चौथी पत्नी हरकूबाई थी जिन्हें खांडा रानी कहा जाता था। इस रानी को होलकर राजवंश में सम्मानजनक स्थान प्राप्त था। वह अपने निजी पत्र व्यवहार में स्वयं की मुद्रा 'श्री दत्त चरणी तत्पर हरकूबाई होलकर' का उपयोग करती थीं। अहिल्याबाई होलकर ने उनके लिए अपने पत्र व्यवहार में 'गंगाजल निर्मल हरकाई' जैसे सम्मानित शब्दों का प्रयोग किया है।
 
हरकूबाई के संबंध में कहा जाता है कि वह सिरपुरकर परिवार की कन्या थीं और उनका विवाह खानदेश में बाघाड़ी गांव में हुआ था। तरुणावस्था में ही वे विधवा हो गईं। इस सुंदर युवती को ब्याहने मल्हारराव अपनी सैन्य गतिविधियों के कारण न जा सके किंतु उनका खांडा (तलवार) अवश्य पहुंची जिसके साथ हरकूबाई का विवाह हुआ और वह होलकर अंत:पुर में जा पहुंचीं। वे महानुभाव पंथ को मानने वाली महिला थीं। उसने इस पंथ के कई मंदिरों की व्यवस्था के लिए दान दिया था। इंदौर में राजबाड़े के समीप ही इस पंथ का एक मंदिर आज भी अवस्थित है। हरकूबाई की सील से ही ज्ञात होता है कि वह 'श्री दत्त' में अपार श्रद्धा रखती थीं।
 
यह सत्य है कि सूबेदार मल्हारराव होलकर की पत्नियों में जो दर्जा गौतमाबाई को प्राप्त था, वह हरकूबाई के लिए संभव न था तथापि होलकर राजवंश में ऐतिहासिक महत्व रखने वाली महिलाओं में अपनी स्वयं की प्रतिभा व सूझबूझ के परिणामस्वरूप जो स्थान हरकूबाई ने बनाया था, वह पर्याप्त महत्वपूर्ण था।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शेयर बाजार में गिरावट पर लगा ब्रेक, सेंसेक्स 503 अंक उछला