सिखों के साहित्य में प्राप्त संदर्भों के अनुसार गुरु नानकदेवजी जब उत्तर भारत से दक्षिण की यात्रा पर निकले तब उज्जैन से दक्षिण की ओर जाते हुए (1499-1500 ई.) में वे इंदौर में एक इमली के पेड़ के नीचे रुके थे। तब हरसिद्धि और जूनी इंदौर अवश्य आबाद रहे होंगे तभी गुरुजी ने बस्ती के बाहर अपना पड़ाव डाला था।
गुरु नानकदेवजी ने जिस इमली के नीचे विश्राम किया था, उसके स्मारक के रूप में उसी स्थान पर 'गुरुद्वारा इमली साहेब (जवाहर मार्ग पर स्थित गुरुद्वारा) का निर्माण किया गया था। इस गुरुद्वारे में उस इमली के पेड़ का तना सुरक्षित है।