जेनेवा। बिजली उत्पादन, परिवहन और उष्मा के लिए जीवाश्म ईंधनों को जलाने से तथा अंधाधुंध औद्योगिक गतिविधियों के कारण पूरी दुनिया की आबादी को वायु प्रदूषण का कहर झेलना पड़ रहा है और इससे हर साल दुनिया भर में 70 लाख मौतें हो रही हैं, जिनमें 6 लाख बच्चे भी शामिल हैं।
मानवाधिकार एवं पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ डेविड आर बॉयड ने सोमवार को मानवाधिकार परिषद में बताया कि दुनिया की 90 फीसदी आबादी को वायु प्रदूषण का खतरा है। दुनिया के छह अरब से अधिक लोग जिनमें से एक-तिहाई बच्चे हैं, उन्हें प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ रहा है। इसके कारण उनकी जिंदगी खतरे में पड़ती है।
लोगों को घर के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रदूषित हवा में सांस लेना पड़ता है। वायु प्रदूषण हर साल 70 लाख लोगों की मौत का जिम्मेदार है, लेकिन इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाता है। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली मौतें अन्य आपदाओं से या महामारियों से होने वाली मौतों की तरह ध्यान नहीं खींच पाती हैं। हर घंटे 800 लोग वायु प्रदूषण के कारण मर रहे हैं, जिनमें से कई मौतें प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण हुई बीमारियों जैसे कैंसर, श्वास संबंध परेशानी या हृदय रोग से होती हैं।
बॉयड ने कहा कि लोगों को स्वच्छ हवा में सांस लेने का मूल अधिकार है। वायु प्रदूषण स्वस्थ पर्यावरण में सांस लेने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। दुनिया के 155 देश इस अधिकार को मान्यता देते हैं और इसे वैश्विक रूप से मान्यता दी जानी चाहिए। (वार्ता)