माले। मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में महाभियोग लाया जाएगा। अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनील ने सोमवार को यह जानकारी दी। यमीन पर विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच अनुचित पाए जाने के बावजूद उन्हें रिहा न किए जाने का आरोप हैं। अनील ने सभी राष्ट्रीय संघों और रक्षा इकाइयों को यमीन के खिलाफ महाभियोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट के किसी आदेशों की अवमानना नहीं किए जाने के लिए कहते कहा कि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को पद से हटाने अथवा उनके खिलाफ महाभियोग लाए जाने के आदेश दे सकता है। हमें सूचना मिली है कि ऐसा कुछ होने पर राष्ट्रीय सुरक्षा संकट में पड़ जाएगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद समेत 9 लोगों के खिलाफ दायर एक मामले को खारिज कर दिया था। नशीद देश के पहले लोकतांत्रिक निर्वाचित नेता हैं और इन दिनों ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं तथा अपने राजनीतिक अधिकारों को बहाल किए जाने के लिए प्रयासरत हैं।
सरकार करेगी महाभियोग का विरोध : मालदीव की सरकार सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन पर महाभियोग चलाने के किसी भी प्रयास का विरोध करेगी। मालदीव के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में इस बात की जानकारी दी। अनिल ने कहा कि सरकार को ऐसी सूचना मिली है कि सुप्रीम कोर्ट यमीन को हटाने के लिए उन पर महाभियोग चलाने की तैयारी कर रहा है। सरकार ने पुलिसकर्मियों और सैनिकों को आदेश दिए हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के उन निर्देशों को न मानें जिसमें राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन को गिरफ्तार करने या उन पर महाभियोग चलाने की बात कही गई हो। राष्ट्रपति की गिरफ्तारी गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को उनके पद से हटाना चाहता है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हमें ऐसी सूचनाएं प्राप्त हुई हैं कि देश की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। यदि सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का निर्देश देता है तो यह असंवैधानिक और गैरकानूनी होगा इसीलिए मैंने पुलिस और सेना से कहा है कि वे किसी भी असंवैधानिक आदेश का पालन न करें। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को मालदीव की सर्वोच्च अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद पर चल रहे मुकदमे को असंवैधानिक करार दिया था और कैद किए गए विपक्ष के 9 सांसदों को रिहा करने का आदेश भी जारी किया था। इस आदेश के बाद मालदीव में विपक्षी दल बहुमत प्राप्त करता दिख रहा है। सरकार ने अदालत के इस फैसले को मानने से इंकार करते हुए संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एटोनियो गुटेरेस ने मालदीव सरकार से विपक्षी नेताओं को रिहा करने तथा 12 सांसदों को बहाल करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करने की अपील की है। गौरतलब है कि मालदीव में वर्ष 2008 में लोकतंत्र की स्थापना हुई थी और मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मालदीव के पहले राष्ट्रपति हैं। 2015 में उन्हें आंतकवाद विरोधी कानूनों के तहत सत्ता से हटा दिया गया था। नशीद देश के पहले लोकतांत्रिक निर्वाचित नेता हैं और इन दिनों ब्रिटेन में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं तथा अपने राजनीतिक अधिकारों को बहाल किए जाने के लिए प्रयासरत हैं। (वार्ता)