टोरंटो: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि मानवाधिकार चिंताओं के कारण उनका देश भी अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की तरह बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों का राजनयिक बहिष्कार करेगा।
कनाडा की इस घोषणा से पहले अमेरिका, आस्ट्रेलिया और ब्रिटिश सरकारों ने चीन में मानव अधिकारों के उल्लंघन को देखते हुए फरवरी में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों का राजनयिक बहिष्कार करने का फैसला किया था। चीन ने कहा है कि वह इस पर ठोस जवाबी कार्रवाई करेगा। ट्रूडो ने कहा कि उनकी सरकार इस मामले को लेकर अपने सहयोगियों के साथ बात कर रही है।
उन्होंने कहा, चीन सरकार द्वारा बार-बार मानवाधिकारों के उल्लंघन से हम बेहद चिंतित हैं। उन्हें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि हम कोई राजनयिक प्रतिनिधि नहीं भेज रहे हैं।कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के फैसले का उनके खिलाड़ियों के खेलों में भाग लेने पर असर नहीं पड़ेगा।
ऑस्ट्रेलिया ने बीजिंग ओलंपिक के बहिष्कार में अमेरिका का दिया साथ
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन ने कहा कि मानवाधिकारों से जुड़ी चिंताओं के कारण उनका देश भी बीजिंग शीतकालीन खेलों के राजनयिक बहिष्कार में अमेरिका का साथ देगा।
मौरिसन ने कहा कि हाल के वर्षों में चीन के साथ उनके देश के संबंध अच्छे नहीं रहे हैं और इसलिए आस्ट्रेलियाई अधिकारियों का शीतकालीन ओलंपिक के समारोहों का बहिष्कार करने पर हैरानी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, मैं ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय हित में ऐसा कर रहा हूं। यह करना सही है।मौरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी हालांकि इन खेलों में हिस्सा लेंगे।
ब्रिटेन सरकार ने भी किया था यह फैसला
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन का कहना है कि ब्रिटेन सरकार का कोई भी मंत्री बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक में भाग नहीं लेगा और इसे प्रभावी रूप से एक राजनयिक बहिष्कार कहा।
जॉनसन से संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में पूछा गया था कि क्या ब्रिटेन शीतकालीन ओलंपिक खेलों के राजनयिक बहिष्कार में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और लिथुआनिया के साथ शामिल होगा।
उन्होंने कहा कि वह खिलाड़ियों से संबंधित बहिष्कार के विरोध में हैं लेकिन ब्रिटेन कूटनीतिक रूप से ओलंपिक का प्रभावी रूप से बहिष्कार करेगा।
मानवअधिकार हनन का हवाला देते हुए अमेरिका ने उठाया था सबसे पहला कदम
व्हाइट हाउस द्वारा बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक 2022 के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा किए जाने के बाद चीन ने कड़ा विरोध दर्ज कराया और कहा कि यह ओलंपिक भावना के विपरीत है। इसने अमेरिका को ठोस जवाबी कदम की भी चेतावनी दी।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को चीन के शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ कथित मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देते हुए घोषणा की कि अमेरिका बीजिंग में आयोजित होने जा रहे शीतकालीन ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार करेगा।
उइगर मुसलमानों के खिलाफ हुए नरसंहार को चीन ने बताया था झूठ
यह एक ऐसा कदम है जो दोनों देशों के बीच पहले से ही चली आ रही तल्खी को और बढ़ाने का काम करेगा।चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने अमेरिकी घोषणा की निंदा करते हुए कहा कि शिनजियांग में उइगर मुसलमानों के खिलाफ नरसंहार का आरोप वाशिंगटन द्वारा "गढ़ा गया सदी का झूठ" है।
उन्होंने कहा कि वैचारिक पूर्वाग्रह, झूठ और अफवाहों के आधार पर अमेरिका बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक को बाधित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह उसके दुर्भावनापूर्ण इरादों को और उजागर करेगा तथा उसकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाएगा।
झाओ ने कहा कि अमेरिकी बहिष्कार ओलंपिक चार्टर सिद्धांत के विपरीत है और चीन ठोस जवाबी कदम उठाएगा।
उन्होंने चार फरवरी से 20 फरवरी तक बीजिंग और पड़ोसी हेबेई प्रांत के नगरों में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक के लिए निमंत्रण भेजे जाने से पहले ही "राजनयिक बहिष्कार" का फैसला किए जाने पर अमेरिका की निंदा की।