वॉशिंगटन। दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका और चीन) के बीच व्यापार युद्ध में पहला आक्रामक कदम उठाने वाले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्णय से अरबों अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा की चीनी वस्तुओं पर भारी-भरकम अमेरिकी शुल्क आज रात से प्रभावी हो जाएंगे।
चीन ने डॉलर का बदला डॉलर से लेने का इरादा जाहिर करते हुए अमेरिकी निर्यात पर तत्काल शुल्क लगा दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस टकराव से वैश्विक अर्थव्यवस्था में खलबली पैदा हो जाएगी और विश्व व्यापार प्रणाली पर इसका काफी नकारात्मक असर पड़ेगा।
उद्योग जगत में असहजता के नए संकेत आज उस वक्त देखने को मिले, जब एक व्यापार सर्वेक्षण में फिर दिखाया गया कि अमेरिका के सेवा क्षेत्र में पहले से ही आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी दिक्कतें पेश आ रही हैं और व्यापार बंदिशें बढ़ने की आशंका से लागत में इजाफा दर्ज किया जा रहा है।
आपूर्ति प्रबंधन संस्थान की सेवा उद्योग सर्वेक्षण समिति के प्रमुख एंथनी नाइव्स ने बताया, हमने मुद्रास्फीति के संकेत देखने शुरू कर दिए हैं। व्हाइट हाउस के व्यापार अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मौजूदा मजबूती का मतलब है कि यदि यह युद्ध ज्यादा बढ़ता है तो ऐसी स्थिति में अमेरिका अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में ज्यादा दर्द सह पाने में सक्षम है। (वार्ता)