नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव पलट सकते हैं। इससे इसका चुंबकीय कवच कमजोर पड़ जाएगा। सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी के वायुमंडल को चीरती हुईं सतह तक आ जाएंगी। इस तरह मंगल की ही तरह पृथ्वी के वायुमंडल का खात्मा यहां के जीवन के अंत की वजह बन सकता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के कोर में मौजूद तरल लोहा विशालकाय इलेक्ट्रोमैग्नेट की तरह बर्ताव करता है, जिसके दो चुंबकीय ध्रुव हैं। इससे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक करंट पैदा होता है, जो पृथ्वी के चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र मैग्नेटोस्फेयर तैयार करता है।
अंतरिक्ष में हजारों मील तक फैला हुआ यह चुंबकीय क्षेत्र सूर्य की घातक किरणों से पृथ्वी को बचाता है। धरती पर मौजूद जीवन इसी कवच पर निर्भर करता है। इसके खत्म हो जाने के बाद धरती पर जीवन खत्म होने में समय नहीं लगेगा।
धरती के कोर में मौजूद तरल लोहा स्थिर नहीं है। इसके कारण पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी चुंबकीय ध्रुव हर दो या तीन लाख वर्ष में आपस में जगह बदल लेते हैं। यूरोपीय स्पेस एजेंसी के उपग्रहों द्वारा एकत्र किए डाटा के मुताबिक हर दशक में पृथ्वी का चुंबकीय कवच पांच फीसद की दर से कमजोर पड़ रहा है। यह दर पूर्व अनुमान से दस गुना अधिक है।
कुछ अध्ययनों के मुताबिक पिछली बार यह बदलाव 7.80 लाख वर्ष पहले हुआ था। इस प्रक्रिया में चुंबकीय क्षेत्र धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जाता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगला बदलाव शुरू हो चुका है।
दक्षिणी अमेरिका के ऊपर मौजूद चुंबकीय क्षेत्र सबसे तेजी से कमजोर पड़ रहा है। इस क्षेत्र को वैज्ञानिकों ने दक्षिण अटलांटिक असंगति नाम दिया है। इस क्षेत्र के ऊपर से गुजरने वाले उपग्रहों के सर्किट रेडिएशन बढ़ जाने के कारण खराब हो गए।
अमेरिका के कोलाराडो स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कोलाराडो के अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यह सारे संकेत सही हैं, तो चुंबकीय क्षेत्र के पलटने के बाद पृथ्वी के कुछ क्षेत्र रहने लायक नहीं बचेंगे। 2015 में सूर्य से निकलने वाली तीव्र किरणों ने सुपरस्टॉर्म की स्थिति खड़ी कर दी थी।
तब लगातार दो घंटों तक घातक किरणों के बरसने से पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर में अस्थायी दरारें पड़ गईं। प्रकाश की गति से अत्यधिक तेज रेडिएशन पृथ्वी पर हुआ, उनसे वातावरण में जियोमैग्नेटिक तूफान उठा और ध्रुवों के करीब क्षेत्रों में रेडियो सिग्नल ठप पड़ गए थे।
वैज्ञानिकों के एक समूह के मुताबिक ध्रुव पलटने से सौर विकिरण दोगुना हो जाएगा। इससे हर साल कैंसर जैसी बीमारियों से एक लाख लोगों की जान जा सकती है। दूसरे धड़े का कहना है कि चुंबकीय परत भले ही कमजोर पड़ जाएगी, लेकिन सौर विकिरण में मामूली इजाफा होगा। कमजोर कवच के बाद भी पृथ्वी का घना वातावरण सूर्य की घातक किरणों को रोक लेगा।