काठमांडू। यति एयरलाइंस के दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स और एक शव सोमवार को दुर्घटनास्थल से बरामद कर लिया गया है, वहीं रविवार को हुए इस हादसे में विमान में सवार सभी 72 लोगों के मारे जाने की आशंका है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अब तक मिले 69 शवों में से 41 की पहचान हो गई है।
यति एयरलाइंस का एटीआर-72 विमान रविवार को रिजॉर्ट शहर पोखरा के नवनिर्मित हवाई अड्डे पर उतरने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें चालक दल के 4 सदस्यों और 5 भारतीयों समेत 72 लोग सवार थे। अधिकारियों ने बताया कि अब तक मिले 69 शवों में से 41 की पहचान हो गई है। नेपाल में सोमवार को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है।
कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) दोनों को बरामद कर लिया गया है। रात को खोज और बचाव अभियान को रोक दिया गया था और आज सुबह बचाव दल ने 300 मीटर गहरी खाई में उतरकर फिर से अपना अभियान शुरू किया।
सीवीआर कॉकपिट में रेडियो प्रसारण और अन्य ध्वनियां रिकॉर्ड करता है, जैसे पायलटों के बीच बातचीत और इंजन से आने वाली आवाज आदि। एफडीआर 80 से अधिक विभिन्न प्रकार की जानकारी जैसे गति, ऊंचाई और दिशा, साथ ही पायलट की गतिविधयां और महत्वपूर्ण प्रणालियों के प्रदर्शन को रिकॉर्ड करता है।
काठमांडू हवाई अड्डे के अधिकारियों के अनुसार यति एयरलाइंस के 9एन-एएनसी एटीआर-72 विमान के पुराने हवाई अड्डे और नए हवाई अड्डे के बीच सेती नदी के तट पर दुर्घटनाग्रस्त होने के एक दिन बाद, दुर्घटना स्थल से सीडीआर व एफडीआर बरामद किए गए।
विमानन कंपनी के प्रवक्ता सुदर्शन बारतौला ने बताया कि दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स मौके से बरामद कर लिया गया है और उसे नेपाल के नागर विमानन प्राधिकरण (सीएएएन) के हवाले कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन बॉक्स से रविवार की दुर्घटना के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं। हिमालयी राष्ट्र में पिछले 30 से अधिक वर्षों में हुआ यह सबसे भीषण विमान हादसा है। बचाव दलों ने सोमवार को और 1 शव बरामद किया। अब तक 69 शव बरामद किए जा चुके हैं। बचावकर्मी बाकी 3 शवों की खोज में जुटे हुए हैं।
काठमांडू पोस्ट के अनुसार, कास्की जिले के मुख्य जिलाधिकारी टेक बहादुर ने कहा कि 300 मीटर गहरी और संकरी खाई से शवों को निकालना बहुत मुश्किल है। हम इस मिशन को सफल बनाने के लिए हमारे पास उपलब्ध सभी उपकरणों/मशीनों का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि बचाव कार्य मंगलवार को भी जारी रहेगा।
नेपाल के नागर उड्डयन प्राधिकरण ने कहा कि अभी तक बरामद 69 शवों में से 41 की पहचान हो चुकी है। विमान में 5 भारतीय अभिषेक कुशवाहा (25), विशाल शर्मा (22), अनिल कुमार राजभर (27) सोनू जायसवाल (35) और संजय जायसवाल सवार थे। ये सभी उत्तरप्रदेश के निवासी थे। काठमांडू स्थित त्रिभुवन यूनिवर्सिटी टीचिंग अस्पताल की मेडिकल टीम हेलीकॉप्टर से रवाना हो गई है।
यति एयरलाइंस द्वारा जारी बयान के अनुसार, नेपाली सेना का एक हेलीकॉप्टर पोखरा में मौजूद है और विदेशी नागरिकों, चालक दल के सदस्यों और जिनकी पहचान नहीं हो पाई है, उन शवों को काठमांडू लाया जाएगा ताकि फॉरेंसिक परीक्षण की मदद से उनकी पहचान की जा सके।
सैन्य सूत्रों ने बताया कि दुर्घटना सेती नदी की गहरी खाई में हुई है, इसलिए राहत एवं बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है। विमान की कमान कैप्टन कमल केसी संभाल रहे थे जो एक प्रशिक्षक पायलट थे। केसी ने करीब 110 किलोमीटर की दूरी से पोखरा नियंत्रण टावर से पहली बार संपर्क किया।
समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट ने पोखरा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रवक्ता अनूप जोशी के हवाले से कहा कि मौसम साफ था। हमने पूर्वी छोर पर रनवे 30 पर उन्हें उतरने को कहा कि सब कुछ सही था। उन्होंने कहा कि किसी गड़बड़ी की जानकारी नहीं दी गई थी। जोशी ने बताया कि विमान के कैप्टन ने बाद में पश्चिमी छोर पर रनवे 12 पर उतरने की अनुमति मांगी। उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। अनुमति दे दी गई और फिर विमान उतरने लगा।
काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के महाप्रबंधक प्रेमनाथ ठाकुर ने कहा कि विमान ने सुबह 10 बजकर 32 मिनट पर काठमांडू से उड़ान भरी। विमान को 10 बजकर 58 मिनट पर पोखरा में उतरना था। विमान लगातार पोखरा टावर के संपर्क में था। उस विमान के उतरने के लिए आवश्यक मंजूरी (लैंडिंग क्लीयरेंस) भी हासिल कर ली गई थी। मौसम भी ठीक था। सब कुछ ठीक था फिर हादसा कैसे हुआ, यह जांच का विषय है।
ठाकुर ने कहा कि एक उच्च स्तरीय जांच दल का गठन किया गया है। इसके वॉयस रिकॉर्डर और अन्य परिस्थितियों की जांच कर कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है। जांच दल 45 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। प्रमुख पर्यटन स्थल पोखरा दो नदियों - विजयापुर और सेती- के बीच स्थित है। विमानों की आवाजाही पर नजर रखने वाली वेबसाइट फ्लाइटरडार 24 ने दावा किया कि दुर्घटनाग्रस्त विमान 15 साल पुराना था और इसमें “पुराने ट्रांसपोंडर लगे थे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta