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#Brexit अलग होने के बाद क्या होगा ब्रिटेन का?

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, शुक्रवार, 24 जून 2016 (13:00 IST)
आखिकार ब्रिटेन के लोगों ने ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग करने का फैसला कर लिया। 52 प्रतिशत वोट ब्रिटेन को यूरोपीय  संघ से अलग करने के पक्ष में पड़े। ब्रिटेन अलग तो हो गया है, लेकिन अब उसके लिए आगे की राह क्या होगी? दुनिया भर  में ब्रिटेन के अलग होने पर अर्थव्यवस्था, व्यापार नीति, रोजगार के प्रभावित होने पर विश्लेषण शुरू हो गए हैं। 

 
 
 
यूरोपीय संघ से अलग होने के बारे में स्थिति साफ होते ही दुनिया भर के शेयर बाज़ारों में भारी गिरावट आ गई। ब्रिटेन की  मुद्रा पाउंड में भी ऐतिहासिक गिरावट देखी गई। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह गिरावट आगे भी जारी रह सकती है।  यह पाउंड में  पिछले 31 सालों में ये सबसे बड़ी गिरावट है। यूरोपीय संघ से अलग होने की ख़बर से भारतीय बाज़ारों पर भी बड़ी गिरावट में  आ गए। 
 
अप्रवासी भारतीयों के साथ-साथ ब्रिटेन में रहने वाला एक तबका भी मानता है कि सुरक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर यूरोपियन  यूनियन में रहते हुए हालात बेहतर हुए हैं, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि अलग होने कि प्रवासियों की वजह से स्थानीय  लोगों की नौकरियां खतरे में हैं।
 
बहरहाल अब फैसला हो चुका है कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग होगा और उसे अब अपनी कहानी खुद ही लिखनी होगी। आइए  जानते हैं कि ब्रिटेन के अलग होने के बाद क्या असर पड़ सकता है। 
 
नौकरियों पर असर : यूरोपियन यूनियन से अलग होने पर 9 लाख 50 हजार ब्रिटिश लोगों की नौकरियां जाएंगी, वहीं अलग  होने के बाद यूरोपियन यूनियन मेंबरशिप फीस के 99 हजार करोड़ रुपए ब्रिटेन के बचेंगे, जिसका उपयोग और बेहतर तरीके से  किया जा सकता है।
 
ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से बाहर होने का भारत पर असर :  ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन से बाहर होने पर यूरोपियन  यूनियन से कारोबारी रिश्ते रखने वाले देशों पर बुरा असर पड़ेगा, इसमें भारत भी शामिल है। भारत के लिए तो यूरोपियन  यूनियन सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है। 50 करोड़ आबादी वाले यूरोपियन यूनियन की अर्थव्यवस्था 16 खरब डॉलर है जो पूरी  दुनिया की जीडीपी के एक चौथाई के बराबर है। 
 
भारत सरकार के आंकड़ें के मुताबिक 2015-16 में ब्रिटेन के साथ व्यापार 94 हजार 300 करोड़ रुपये रहा जिसमें 59 हजार  100 करोड़ रुपये निर्यात और 34 हजार 700 करोड़ रुपये का आयात हुआ
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ब्रिटेन में काम कर रही 800 भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है। खास तौर पर भारतीय आईटी सेक्टर के 6 से 18  फीसदी कमाई ब्रिटेन से ही होती है। भारतीय कंपनियों के लिए यूरोप में अपने व्यापार करने की राह ब्रिटेन से होकर ही बनाती  हैं। लेकिन अब ब्रिटेन के अलग होने पर भारत को यूरोप के देशों से नए करार करने होंगे। इससे कंपनिय़ों का खर्च बढ़ेगा और  उन देशों के नए कानूनों के अनुसार भारतीय कंपनियों को व्यापार करना होगा। 
 
यूरोपियन नेताओं  का अगला कदम : लीव वोट से यूरोपियन नेताओं को होगी नाराजगी। हो सकता है कि एक इमरजेंसी समिट का आयोजन इसी सप्ताह के अंत में किया जाए। मिस्टर जंकर कह चुके हैं अलग होने वालों का खुले दिल से स्वागत नहीं किया जाएगा।

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