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भारत-रूस में 16 करार, अब देश में बनेगा कामोव हेलीकॉप्टर

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गोवा , शनिवार, 15 अक्टूबर 2016 (12:50 IST)
बेनालिम (गोवा)। भारत और रूस ने लगभग 43,000 करोड़ रुपए लागत के तीन बड़े रक्षा सौदों पर शनिवार को हस्ताक्षर किए। इसमें सर्वाधिक उन्नत वायु रक्षा प्रणाली की खरीद शामिल है। साथ ही, दोनों पारंपरिक सहयोगी देशों ने आतंकवादियों और उनके समर्थकों से निपटने में तनिक भी बर्दाश्त नहीं करने की जोरदार हिमायत की।



 
 
 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सार्थक एवं ठोस व्यापक वार्ता होने के बाद हस्ताक्षर किए गए 16 समझौतों में ये सौदें भी शामिल हैं। वार्ता में समूचे द्विपक्षीय संबंधों को शामिल किया गया। दोनों देशों ने व्यापार एवं निवेश, हाइड्रोकार्बन, अंतरिक्ष और स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में सबंधों को बढ़ाने के लिए तीन घोषणाएं भी कीं।
 
मोदी ने एक संयुक्त प्रेस कार्यक्रम में अपनी टिप्पणी शुरू करते हुए एक रूसी मुहावरे का इस्तेमाल किया कि 'एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है।' इसके जरिए उन्होंने पाकिस्तान के साथ रूस के हालिया संयुक्त सैन्य अभ्‍यास से भारत की नाराजगी को जाहिर करना चाहा।
 
पांच अरब डॉलर (33, 350 करोड़ रुपया) से अधिक कीमत पर एस 400 ट्रिम्फ लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की खरीद के अलावा अन्य दो सौदों में चार एडमिरल ग्रिगोरोविच श्रेणी (प्रोजेक्ट 11356) निर्देशित मिसाइल ‘स्टील्थ फिग्रेट’ और कामोव हेलीकॉप्टरों के संयुक्त उत्पादन प्रतिष्ठान की स्थापना करना शामिल है। हेलीकॉप्टरों और फ्रिगेट से जुड़े सौदे करीब एक अरब डॉलर (6,672 करोड़ रुपया) 50 करोड़ डॉलर (3, 336 करोड़ रुपया) कीमत के हैं।
 
इन सौदों पर हस्ताक्षर करना मायने रखता है क्योंकि हाल के समय यह माना गया कि भारत अपने पारंपरिक रक्षा सहयोगी रूस से दूरी बना रहा है। दरअसल, भारत ने अमेरिका के साथ साजो-सामान आदान-प्रदान समझौता ज्ञापन (लेमोआ) पर हस्ताक्षर किया है जो अमेरिका को भारतीय सैन्य ठिकानों पर पहुंच मुहैया करेगा।
 
मोदी ने पिछले महीने पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर किए गए भारत के ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के अप्रत्यक्ष संदर्भ में सीमा पार से होने वाले आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत की कार्रवाई को समझने और उसका समर्थन करने को लेकर रूस की सराहना की। 
 
संयुक्त बयान में भारत एवं रूस ने इस बात को स्वीकार किया कि सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी की भूमिका के विस्तार से सुरक्षा के मामले में संवेदनशीलता बढ़ी है। इससे राज्यों के जिम्मेदार व्यवहार संबंधी सार्वभौमिक रूप से लागू होने वाले नियमों के जरिए निबटने की आवश्यकता है ताकि उनका सुरक्षित एवं सतत उपयोग हो सके। 
 
नेताओं ने अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति की बिगड़ते हालात पर चिंता जताई तथा आतंकवाद की समस्या के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता की पहचान की। साथ ही उन्होंने गैर कानूनी मादक पदार्थों के उत्पादन एवं तस्करी, आतंकवाद के पनाहगाहों को खत्म करने एवं आतंकवादियों के समर्थन के अन्य स्वरूपों को समाप्त करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
 
उन्होंने अफगानिस्तान की घरेलू सुरक्षा स्थिति से निबटने में मदद करने के लिए सकारात्मक अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय एवं द्विपक्षीय सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने इस संबंध में अफगान की राष्ट्रीय सुरक्षाबलों की क्षमता बेहतर बनाने, मादक पदार्थों से निबटने की क्षमता को मजबूत करने, सामाजिक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने तथा संपर्क बढ़ाने के लिए भी इसी तरह का आह्वान किया।
 
बयान में कहा गया कि भारत एवं रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर अफगाननीत एवं अफगान स्वामित्व वाली राष्ट्रीय सुलह प्रक्रिया को लेकर अफगान सरकार के प्रयासों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।
 
दोनों ही पक्षों ने दक्षिण-पूर्वी उक्रेन में अस्थिरता जारी रहने पर चिंता जताई तथा मुद्दे के साथ राजनीतिक एवं आपसी सहमति से किए जाने वाले समझौते का समर्थन किया। यह 12 फरवरी 2015 को मिन्स्क समझौतों के क्रियान्वयन के लिए उपायों के पैकेज को पूरी तरह से लागू करने के जरिए हो। (भाषा)

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