किसी जमाने में महारानी जिन्दन कौर के आभूषण का हिस्सा रहे चांद टीका की लंदन में नीलामी हुई। कौर सिख साम्राज्य के महाराजा रंजीत सिंह की अंतिम पत्नी थीं। ये आभूषण बाद में विरासत के तौर पर उनकी पोती राजकुमारी बम्बा सदरलैंड को मिली थी।
बोनैहम्स इस्लामिक और इंडियन आर्ट सेल्स में इस सप्ताह रत्न जड़ित चांद टीका 62,500 पाउंड की बोली में बिका। इसके साथ ही 19वीं शताब्दी की अन्य दुर्लभ कलाकृतियां भी कई बोलियां अपनी तरफ आकर्षित करने में सफल रहीं।
बोनहैम्स ने कहा है कि जिन्दन कौर महाराजा रंजीत सिंह की एक मात्र जिंदा विधवा थीं। उन्होंने पंजाब में अंग्रेजों के खिलाफ बगावत की लेकिन बाद में उन्हें आत्मसमर्पण करने को मजबूर किया गया। लाहौर के विख्यात खजाने से 600 से ज्यादा उनके आभूषणों को जब्त कर लिया गया। 1848 में नेपाल जाने से पहले उन्हें जेल में डाल दिया गया था।
नीलामी घर का मानना है कि इस सप्ताह बिक्री के लिए उपलब्ध आभूषण निश्चित तौर पर वे आभूषण हैं जो जिन्दन कौर को ब्रिटेन के अधिकारियों ने उन्हें लंदन में अपने बेटे दलीप सिंह के साथ रहने पर सहमति जताने के बाद सौंपे गए थे। नीलामी में कुछ दुर्लभ कलाकृतियों में 19वीं शताब्दी के वाटरकलर वाली स्वर्ण मंदिर और अमृतसर शहर की तस्वीर है।
ऐसा माना जाता है कि अब तक वाटरकलर से स्वर्ण मंदिर की जितनी भी पेंटिंग तैयार की गई है, वह इसमें सबसे बड़ी है। यह 75,062 पाउंड में नीलाम हुई। इसके अलावा द्वितीय आंग्ल-सिख् युद्ध (1848-49) में कमांडर रहे राजा शेर सिंह अट्टारीवाला का चित्र भी नीलाम हुआ।