बीजिंग। चीन ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद बुधवार को दावा किया कि घाटी की संप्रभुता हमेशा से उसी की रही है। भारत ने मंगलवार को कहा था कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास के कारण हुई।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पूर्व में शीर्ष स्तर पर जो सहमति बनी थी, अगर चीनी पक्ष ने गंभीरता से उसका पालन किया होता तो दोनों पक्षों को हुए नुकसान से बचा जा सकता था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने सोमवार रात को हुई झड़प में चीनी पक्ष के 43 जवानों के हताहत होने संबंधी रिपोर्टों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
न्होंने कहा, सीमा पर बल प्रासंगिक मामलों से निपट रहे हैं। प्रवक्ता से सवाल किया गया कि भारत ने हताहतों की संख्या जारी कर दी है, लेकिन चीन अपने हताहत जवानों की संख्या क्यों नहीं बता रहा है, इसके जवाब में झाओ ने कहा, मैंने कहा है कि चीनी और भारतीय सीमा बल प्रासंगिक मामले से मिलकर जमीनी स्तर पर निपट रहे हैं। फिलहाल मुझे इस बारे में और कुछ नहीं कहना है।
झाओ ने कहा कि चीन एवं भारत की सीमा पर स्थिति को लेकर दोनों पक्ष संवाद के जरिए राजनयिक एवं सैन्य माध्यमों से इसे सुलझा रहे हैं। उन्होंने कहा, सीमा संबंधी समग्र स्थिति स्थिर एवं नियंत्रण योग्य है।
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा है कि लद्दाख की गलवान घाटी में कुल 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए हैं। इस झड़प के पहले से ही दोनों पक्षों के बीच सीमा पर गतिरोध चल रहा है। यह पिछले करीब पांच दशक में दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा सैन्य टकराव है, जिसके कारण सीमा पर पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है।
पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी इलाके में भारतीय और चीनी सेना के बीच गतिरोध चल रहा है। पैंगॉन्ग सो सहित कई इलाके में चीनी सैन्यकर्मियों ने सीमा का अतिक्रमण किया है।
भारतीय सेना ने चीनी सेना की इस कार्रवाई पर कड़ी आपत्ति जताई है और क्षेत्र में अमन-चैन के लिए तुरंत उससे पीछे हटने की मांग की है। गतिरोध दूर करने के लिए पिछले कुछ दिनों में दोनों तरफ से कई बार बातचीत भी हुई है।(भाषा)