बीजिंग। चीन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से कहा कि वह भारत और पाकिस्तान को ‘पड़ोसी मित्र’ मानता है और वह चाहता है कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और शिमला समझौते के माध्यम से कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं।
गौरतलब है कि भारत सरकार द्वारा संविधान का अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को दिए गए विशेष दर्जा वापस लेने तथा राज्य को केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख में बांटे जाने के बाद कुरैशी इस मामले पर समर्थन हासिल करने के लिए बेहद आनन-फानन में शुक्रवार को बीजिंग पहुंचे।
पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त को वापस भेजकर और भारत से अपने शीर्ष राजनयिक को बुलाकर कूटनीतिक संबंधों को कमतर करने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार संबंधों को भी फिलहाल के लिए खत्म कर लिया है। कुरैशी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रयासों के तहत चीन का समर्थन हासिल करने के लिए बीजिंग पहुंचे हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, कुरैशी ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की। इस दौरान कुरैशी ने कहा कि उन्हें यकीन है कि कश्मीर मुद्दे पर चीन उनके साथ खड़ा होगा।
कुरैशी ने कहा, पाकिस्तान चीन के महत्वपूर्ण हितों से जुड़े मुद्दों पर हमेशा उसका साथ देता रहेगा। वह ताइवान और तिब्बत की बात कर रहे थे। उन्होंने कश्मीर के हालात पर पाकिस्तान के रूख और हालिया घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में उठाए गए कदमों से वांग को वाकिफ कराया।
क्या है शिमला समझौता : 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। इसी समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है। इस समझौते में तय हुआ था कि दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे। तीसरे पक्ष द्वारा कोई मध्यस्थता नहीं की जाएगी।
यह भी तय हुआ था कि दोनों देश एक दूसरे की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करेंगे। समानता एवं आपसी लाभ के आधार पर एक-दूसरे के आंतरिक मामले में दखल नहीं देंगे। समझौता एक्सप्रेस, थार एक्सप्रेस, दिल्ली-लाहौर बस सेवा भी शिमला समझौते के तहत ही चल रही है।