बीजिंग। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को कहा कि उनके देश और भारत को पिछले कुछ साल में द्विपक्षीय संबंधों में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि सीमा संबंधी मतभेदों पर समान स्तर से वार्ता होनी चाहिए ताकि एक निष्पक्ष और उचित हल निकल सके।
वांग ने उम्मीद व्यक्त की है कि चीन और भारत परस्पर संघर्ष के प्रतिद्वंद्वियों के बजाय पारस्परिक सफलता के भागीदार होंगे। चीन के संसद सत्र से इतर वांग ने कहा कि चीन, भारत संबंधों में हाल के वर्षों में थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है जो दोनों देशों और दो लोगों के मौलिक हितों की पूर्ति नहीं करते हैं।
अमेरिका पर निशाना : उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि चीन और भारत को प्रतिद्वंद्वियों के बजाय साझेदार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतों ने चीन और भारत के बीच हमेशा तनाव पैदा करने की कोशिश की है। उनका इशारा संभवत: अमेरिका की तरफ था।
वांग ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच सीमा संबंधी मुद्दे और उनके संबंधों पर एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि चीन और भारत के रिश्तों में पिछले कुछ वर्षों में कुछ मुश्किलें आई हैं जो दोनों देशों और उनके लोगों के बुनियादी हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि जहां तक सीमा का मुद्दा है, यह इतिहास के समय से चला आ रहा है। चीन ने समान स्तर से वार्ता के जरिए मतभेदों को सुलझाने और निष्पक्ष तथा उचित हल निकालने की वकालत की है और इस बीच द्विपक्षीय सहयोग के बड़े परिदृश्य को प्रभावित नहीं होने दिया। स्टेट काउंसलर वांग ने कहा कि चीन और भारत को प्रतिद्वंद्वी होने के बजाय साझेदार होना चाहिए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले महीने कहा था कि सीमा पर सैन्य बलों को नहीं भेजने के समझौतों का बीजिंग द्वारा उल्लंघन किए जाने के बाद चीन के साथ भारत का रिश्ता इस समय बहुत मुश्किल दौर से गुजर रहा है।
जर्मनी में म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस (एमएससी) 2022 में एक पैनल वार्ता में जयशंकर ने कहा था कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन से समस्या का सामना कर रहा है।
वांग ने कहा कि कुछ ताकतों ने हमेशा चीन और भारत के बीच तनाव पैदा करने तथा क्षेत्रों में विभाजन पैदा करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इन कोशिशों ने चिंता करने वाले ज्यादा से ज्यादा लोगों को सोचने को मजबूर कर दिया है।
उन्होंने कहा कि एक अरब से अधिक आबादी वाले दोनों बड़े देशों के ज्यादा से ज्यादा लोगों ने यह महसूस किया है कि स्वतंत्र रहकर ही हम अपनी नियति दृढ़ता के साथ तय कर सकते हैं और विकास तथा कायाकल्प के अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
वांग ने कहा कि चीन और भारत की जनसंख्या मिलाकर 2.8 अरब से ज्यादा है जो पूरी दुनिया की एक तिहाई है और जब दोनों देश स्थिरता और समृद्धि के साथ शांति और सद्भावना से रहेंगे तो वैश्विक शांति और समृद्धि को मजबूत आधार मिलेगा।
दोनों एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं : उन्होंने कहा कि एक भारतीय लोकोक्ति है कि 'अपने भाई की नाव खेने में मदद करो, आपकी नाव खुद किनारे पहुंच जाएगी'। हमें उम्मीद है कि भारत इस रणनीतिक सहमति को कायम रखने में चीन के साथ काम करेगा कि हमारे दोनों देश एक दूसरे के लिए खतरा नहीं, विकास के अवसर प्रदान करें तथा आपसी विश्वास कायम रखें, गलतफहमी से बचें ताकि हम परस्पर गतिरोध के बजाय आपसी सफलता के लिए साझेदार बनें।
सही दिशा में आगे बढ़ें : वांग ने कहा कि दोनों पड़ोसियों को सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे संबंध सही दिशा में आगे बढ़ें, हमारे नागरिकों को और अधिक लाभ पहुंचाएं तथा क्षेत्र एवं दुनिया में वृहद योगदान दें। उन्होंने कहा कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत रणनीति गुटीय राजनीति का पर्याय बनती जा रही है।
उन्होंने कहा कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आकांक्षा दर्शाई जाती है, लेकिन हकीकत में यह क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता पैदा कर रही है। यह दो से अधिक पक्षों के समन्वय की बात करती है लेकिन हकीकत में अपने विशेष गुट बनाने वाली है। इसमें अंतरराष्ट्रीय नियमों का दावा किया जाता है लेकिन वास्तविकता में यह अपने हिसाब से नियम बनाती और लागू करती है।
पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक संघर्ष के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध की स्थिति पैदा हो गई थी और दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों तथा भारी हथियारों को पहुंचाकर अपनी तैनाती बढ़ाई। गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को घातक संघर्ष के बाद तनाव बढ़ गया था।
सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के परिणाम स्वरूप दोनों पक्षों ने पिछले साल गोगरा में तथा पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी।