रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने 6G की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं। जियो ने 6G को डेवलप करने के लिए आज यूनिवर्सिटी ऑफ ओउलू (University of Oulu) के साझेदारी की घोषणा की है। इससे आने वाले दिनों में 6G की संभावनाओं की तलाशने में मिलकर काम किया जा सकेगा।
जहां 5G के आने से हाई स्पीड इंटरनेट, कम लेटेंसी और शानदार डेटा नेटवर्क मिलेंगे। देश में 5G के आने के बाद मशीन टाइप कम्यूनिकेशन्स और वर्चु्अल कामकाज को बढ़ावा मिलेगा। दूसरी ओर 6G के आने से इससे आगे कॉल-फ्री MIMO, इंटेलिजेंस सरफेस और साथ ही टेरा-हर्ट्ज फ्रिक्वेंसी सपोर्ट मिलेगा। जारी विज्ञप्ति के अनुसार 5G और 6G एकसाथ काम कर सकेंगे। इससे ग्राहकों को एक बड़े दायरे में इंटरनेट उपलब्ध कराया जा सकेगा।
इन मामलों में 6G का होगा महत्वपूर्ण रोल
एरियल और स्पेस कम्यूनिकेशन
होलोग्राफिक बीमफार्मिंग
3D कनेक्टेड इंटेलिजेंस साइबर सिक्योरिटी
माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स
फोटोनिक
6G के आने से डिफेंस, ऑटोमोटिव, व्हाइट गुड्स, इंडस्ट्रियल, कंज्यूमर गुड्स, मैन्युफैक्चिरिंग, स्मार्ट डिवाइस इन्वॉयरमेंट, कंप्यूटिंग और ऑटोनॉमस ट्रैफिक में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। रिलायंस जियो 5G के मामले में भी काफी आगे है। जियो पूरी तरह से मेड इन इंडिया 5G पर काम कर रहा है।
जियो 5G लॉन्चिंग के लिए तैयार हैं। कंपनी को बस सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने का इंतजार है। इसके साथ ही कंपनी ने 6G के विकास पर काम शुरू कर दिया है।
University of Oulu में 6जी के प्रमुख निदेशक प्रोफेसर मत्ती लातवा-अहो ने कहा कि हम लक्षित अनुसंधान पहलुओं पर जियो एस्तोनिया और पूरे रिलायंस समूह के साथ सहयोग करने की उम्मीद कर रहे हैं।