वॉशिंगटन। अमेरिका की एक कंपनी ने अपने हालिया अध्ययन में दावा किया है कि भारत और चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के दौरान चीन सरकार से जुड़े हैकरों के एक समूह ने 'मालवेयर' के जरिए भारत के पॉवर ग्रिड सिस्टम को निशाना बनाया। आशंका है कि पिछले साल मुंबई में बड़े स्तर पर बिजली आपूर्ति ठप होने के पीछे शायद यही मुख्य कारण था।
अमेरिका में मैसाचुसेट्स की कंपनी 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' ने अपनी हालिया रिपोर्ट में चीन के समूह 'रेड इको' द्वारा भारतीय ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाए जाने का जिक्र किया है। पिछले साल 12 अक्टूबर को मुंबई में एक ग्रिड ठप होने से बिजली गुल हो गई थी। इससे ट्रेनें भी रास्तें में ही रुक गईं और महामारी के कारण घर से काम रहे लोगों का कार्य भी प्रभावित हुआ और आर्थिक गतिविधियों पर भारी असर पड़ा।
आवश्यक सेवाओं के लिए बिजली आपूर्ति बहाल में 2 घंटे लग गए थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना की जांच का आदेश दिया था। 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' ने ऑनलाइन सेंधमारी संबंधित रिपोर्ट के प्रकाशन के पूर्व भारत सरकार के संबंधित विभागों को इस बारे में अवगत कराया।
अमेरिकी कंपनी के अध्ययन पर भारत सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने एक खबर में कहा कि इस खुलासे से सवाल उठा है कि मुंबई में बिजली गुल के पीछे कहीं बीजिंग यह संदेश तो नहीं देना चाहता था कि अगर भारत ने सीमा पर आक्रामक व्यवहार जारी रखा तो क्या हो सकता है? 'रिकॉर्डेड फ्यूचर' की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि कथित रूप से भारत प्रायोजित समूह 'साइडविंडर' ने 2020 में चीनी सेना और सरकारी प्रतिष्ठानों को निशाना बताया। कंपनी की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब चीन और भारत की सेना पूर्वी लद्दाख में गतिरोध वाले स्थानों से अपने सैनिकों को पीछे हटा रही है। (भाषा)