वॉशिंगटन/ बीजिंग। अमेरिका ने चीन के दो नागरिकों पर आरोप लगाए हैं कि उन्होंने 12 देशों की कंपनियों और सरकारी एजेंसियों के कंप्यूटर सिस्टम हैक किए। वॉशिंगटन ने कहा कि यह साइबर जासूसी का देश द्वारा प्रायोजित व्यापक अभियान था।
अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा कि उक्त अभियान में नासा और अमेरिकी नौसेना को भी कथित तौर पर निशाना बनाया गया। यही नहीं 12 देशों में प्रमुख बैंक, टेलीकॉम कंपनियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को भी कथित तौर पर निशाना बनाया गया। इन आरोपों पर बीजिंग ने खासी नाराजगी जताई है। बीजिंग ने शुक्रवार को वॉशिंगटन पर तथ्य गढ़ने का आरोप लगाया।
चीन के विदेश मंत्रालय ने एक वक्तव्य में कहा कि उसने आधिकारिक विरोध जताया है। इसके साथ ही कहा, हम अमेरिका से अनुरोध करते हैं कि वह साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर चीन को लेकर गलत आरोप लगाना बंद करें। चीन ने कहा कि अमेरिका को मुकदमा बंद कर देना चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच संबंधों को गंभीर नुकसान नहीं पहुंचे।
अमेरिका के डिप्टी अटॉर्नी जनरल रोड रोसेंस्टेन ने कहा कि चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के अमेरिका की कंपनियों और वाणिज्य संस्थानों पर साइबर हमले रोकने के 2015 में किए वादे को बार-बार तोड़ा है। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि चीन अपनी गैरकानूनी साइबर गतिविधियों को रोके और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से किए अपने वादे का सम्मान करे।
अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन ने भी आरोप के समर्थन में अपनी बात रखी है। विदेश मंत्री जेरेमी हंट ने कहा कि बीजिंग वाणिज्यिक और आर्थिक उद्देश्य से कंप्यूटर सिस्टम हैक करना जारी रखे हुए है।