वाशिंगटन। दुनिया के कई बैंकों पर साइबर हमलों के स्रोत के तौर पर उत्तर कोरियाई हैकरों के एक समूह की पहचान की गई है जिसने एक अरब डॉलर से ज्यादा राशि उड़ाने की कोशिश की।
साइबर सुरक्षा कंपनी फायर आई की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में पहचाने गए समूह को एपीटी 38 नाम से जाना गया है जो अन्य उत्तर कोरियाई हैकिंग गतिविधियों से जुड़ा है और उसका मिशन अलग-थलग पड़े प्योंगयांग के शासन के लिए धन उगाही करना है।
फायर आई के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि एपीटी 38 उन कई हैकर समूहों में से है जो ‘लाजारुस’ नाम के संगठन की छत्रछाया में काम करते हैं, लेकिन अपने अनूठे हुनर और संसाधनों की वजह से उसने दुनिया के कुछ सबसे बड़ी साइबर सेंधामारियों को अंजाम दिया है।
फायर आई की खुफिया इकाई की उपाध्यक्ष सेंड्रा जॉयसे ने वाशिंगटन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साइबर अपराध करने वाला यह समूह साइबर सेंधमारी के गुर अच्छी तरह जानता है।
उन्होंने कहा कि एपीटी 38 की एक विशेषता यह है कि कई बार इसके साधे गये निशानों के बारे में पता लगने में कई महीने और कई बार तो दो साल तक लग जाते हैं। इस समूह ने बैंकों से एक अरब डॉलर से ज्यादा पैसा गैरकानूनी तरीके से हस्तांतरित करने का प्रयास किया है।
जॉयसे ने कहा, वे संस्थान की गूढ़ताओं को समझने में समय लगाते हैं। सफलता मिलने पर वे अपने मालवेयर (सेंधमार सॉफ्टवेयर) को इस तरह लगाते हैं कि उनका शिकार हुए लोगों को यह पता चलने में बहुत मुश्किल आती है कि क्या हुआ।
जॉयसे ने कहा कि फायर आई ने तत्काल जरूरत देखते हुए इस तरह के खतरे के बारे में जनता के सामने बात रखने का फैसला किया क्योंकि उक्त सेंधमार समूह अब भी सक्रिय लगता है और किसी भी कूटनीतिक प्रयास का उस पर फर्क नहीं पड़ रहा। फायर आई की रिपोर्ट के अनुसार समूह ने 2014 के बाद से कम से कम 11 देशों में 16 संस्थानों को खतरे में डाला है।
इन साइबर हमलों में से कुछ में 2015 का वियतनाम टीपी बैंक हमला, 2016 में बांग्लादेश की बैंक में सेंधमारी, 2017 में ताइवान की फार ईस्टर्न इंटरनेशनल में हैकिंग और 2018 में मेक्सिको की बैंकोमेक्स तथा चिली की बैंकों पर साइबर हमले शामिल हैं।
फायर आई ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले में उत्तर कोरिया के हैकर समूहों के बीच संसाधनों की किसी तरह की साझेदारी है। इनमें वो समूह भी शामिल हैं जो जासूसी और अन्य तरह के हमलों में शामिल हैं। (वार्ता)