पेरिस। दुनिया भर में हुए सॉफ्टवेयर को प्रभावित करने वाले एक नए साइबर हमले में कंपनियां एवं सरकारों को निशाना बनाया गया है जिससे खास तौर पर यूरोप पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। इस हमले को लेकर साइबर जगत में दहशत का माहौल है।
यूक्रेन के अधिकारियों ने देश के पॉवर ग्रिड और साथ ही बैंकों एवं सरकारी दफ्तरों के कंप्यूटरों में गंभीर घुसपैठ की जानकारी दी है। वहां के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने एक काले कंप्यूटर स्क्रीन की तस्वीर डालते हुए लिखा, 'पूरा नेटवर्क बंद हो चुका है।'
रूस की रोसनेफ्ट तेल कंपनी ने भी हैकिंग का शिकार होने की खबर देते हुए कहा कि वह भारी नुकसान से बाल बाल बचा। वहीं डेनमार्क की जहाजरानी कंपनी एपी मोलर-मएर्स्क ने भी ऐसी ही जानकारी दी।
इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि हमला यूरोप से बाहर तक फैल चुका है। अमेरिकी दवा कंपनी मर्क ने कहा कि उसके कंप्यूटर सिस्टम भी हमले का शिकार हुए हैं।
वहीं, डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन स्थित ग्लोबल शिपिंग कंपनी ने कहा कि उसका कंप्यूटर सिस्टम भी साइबर हमले से प्रभावित हुआ है।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके स्पेन और भारत समेत अन्य देशों में भी फैलने की आशंका है। जो भी देश इसकी चपेट में आए हैं, वहां काफी बड़ी समस्या पैदा हो सकती है। हालांकि, अभी इस साइबर हमले के कारणों का पता नहीं चल सका है। शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार यह हमला यूक्रेन और रूस में एक ही समय में किया गया है।