नई दिल्ली। बोस्टन, अमेरिका में वैज्ञानिकों ने रेगिस्तानी हवा से भी पेयजल निकालने में सक्षम एक उपकरण विकसित किया है। इस अध्ययन में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी के सबसे बंजर इलाकों में भी कुछ आर्द्रता होती है और वैसी नमी को निकालने के व्यवहारिक तरीके को प्राप्त किए जाने से ऐसे क्षेत्रों में जीवन की राह थोड़ी आसान हो सकती है।
अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) के अनुसंधानकर्ताओं ने अब साबित कर दिया है कि इस तरह की निष्कर्षण प्रणाली कारगर साबित हो सकती है। अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि टेम्पे और एरिजोना की बेहद शुष्क हवा में इस उपकरण का परीक्षण किया गया जो नई प्रक्रिया को संभव बनाने की पुष्टि करता है।
उन्होंने बताया कि मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (एमओएफ) के जरिए महज दस फीसदी आर्द्रता वाली रेगिस्तानी और बेहद शुष्क हवा से भी जल का निष्कर्षण किया जा सकता है। विदित हो कि 'नेचर कम्युनिकेशन्स' जर्नल में नई प्रणाली की चर्चा की गई है।
हाल ही में भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के इंदौर स्थित एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान ने पानी में यूरेनियम के अंशों का स्तर पता लगाने के लिए 15 साल की रिसर्च के बाद एक विशेष उपकरण विकसित किया। इस उपकरण का नाम 'लेजर फ्लोरीमीटर' है। इस उपकरण की खासियत है कि यह पंजाब समेत देश के उन सभी राज्यों के लोगों को कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों के खतरे से बचा सकता है जहां जल स्त्रोतों में यूरेनियम के अंश घातक स्तर पर पाए जाते हैं।