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Donald Trump को Nobel Prize दिलाने के लिए उतावले क्यों हैं पाकिस्तान और इजराइल, क्या हैं नियम, कौन कर रहा है विरोध, कब-कब रहे हैं विवादित

पाकिस्तान के बाद अब इजराइल ने उन्हें नामित किया है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार देने के विरोध में भी कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं।

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, बुधवार, 9 जुलाई 2025 (18:20 IST)
donald trump and noble prize
Donald Trump : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान और ईरान-इजराइल के युद्ध रुकवाने का श्रेय ले रहे हैं और शांतिदूत बनने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध मामले में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें सीधा जवाब दे दिया है कि लक्ष्य हासिल करने तक वे रुकेंगे नहीं। डोनाल्ड ट्रंप का सपना नोबेल शांति पुरस्कार पाने का है। यदि डोनाल्ड ट्रंप को यह पुरस्कार मिलता है तो वे रूजवेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर और बराक ओबामा के बाद यह सम्मान पाने वाले 5वें अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे। पाकिस्तान के बाद अब इजराइल ने उन्हें नामित किया है। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार देने के विरोध में भी कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष हैं। 
अमेरिका के बुलावे पर मुनीर ने दिखाई चापलूसी
पाकिस्तान ने जून में कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच एक विवाद को सुलझाने में मदद करने के लिए ट्रंप को इस पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश करेगा। हालांकि भारत ने सीधे शब्दों में कहा कि युद्‍ध रुकवाने में तीसरा पक्ष नहीं था।  इसके अलावा पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर के वॉशिंगटन दौरे के बाद पाकिस्तान ने ऐसा ही प्रस्ताव पास किया है।
 
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल दिए जाने का कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं। इनमें स्वीडन के पूर्व पीएम कार्ल बिल्ड्ट भी शामिल हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा कि नेतन्याहू ट्रंप की चापलूसी करने की कोशिश कर रहे हैं और इसी कोशिश में उनके लिए नोबेल मांग लिया है।
 
नेतन्याहू ने नोबेल समिति को सौंपा ट्रंप के नाम का नामांकन
इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नोबेल समिति को सौंपे जाने वाला नामांकन पत्र ट्रंप को देते हुए कहा था कि हम जब बात कर रहे हैं, तो वह (ट्रंप) एक के बाद एक देश और क्षेत्र में शांति स्थापित कर रहे हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया जब इजराइली नेता नेतन्याहू, ट्रंप और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपतियों पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने का वर्षों से दबाव डालते रहे हैं। ट्रंप ने अमेरिकी सेना को तीन प्रमुख ईरानी परमाणु स्थलों पर बम गिराने और ‘टॉमहॉक' मिसाइल की बौछार करने का आदेश दिया था।
 
इस साल नोबेल पुरस्कार मिलना मुश्किल
नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हर साल अक्टूबर में की जाती है, लेकिन नामांकन जनवरी के अंत में बंद हो जाते हैं। इसका अर्थ है कि नेतन्याहू द्वारा ट्रंप को किया गया नामांकन इस साल के लिए नहीं माना जा सकता। इसके अलावा पाकिस्तान की सिफारिश को भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। अब डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलना है या नहीं। इसका फैसला अगले साल ही हो पाएगा। 
 
क्या हैं नोबेल पुरस्कार की प्रक्रिया
नोबेल पुरस्कार स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। वे नोबेल पुरस्कार को लेकर अपनी वसीयत में काफी कुछ बताकर गए हैं। उनकी वसीयत के मुताबिक यह पुरस्कार उस व्यक्ति को मिलना चाहिए, जिसने राष्ट्रों के बीच सौहार्द्र को बढ़ावा देने, सेनाओं में कमी या उन्हें मोर्चे से हटाने और शांति सम्मेलनों की स्थापना व प्रचार में सबसे अधिक या सबसे अच्छा कार्य किया हो। अल्फ्रेड नोबेल ने ही डायनामाइट का आविष्कार किया था। 
 
क्या व्यक्ति खुद को कर सकता है नामित
नोबेल वेबसाइट पर शांति पुरस्कार समिति के अध्यक्ष जोर्गन वॉटने फ्राइडनेस के मुताबिक कोई भी व्यक्ति नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित हो सकता है और उसे दिया जा सकता है। इतिहास बताता है कि यह पुरस्कार दुनियाभर के समाज के सभी तबकों के लोगों को दिया गया है। एक नियम यह भी है कि कोई व्यक्ति खुद को नोबेल के लिए नामित नहीं कर सकता।  
 
ऐसे होता है विजेता का फैसला
नियम के मुताबिक सरकारों और संसद के सदस्य इसके लिए योग्य हो सकते हैं। इसके अलावा किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष, इतिहास, समाजशास्त्र, कानून और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर आदि इसके दायरे में आते हैं। नॉर्वेजियन नोबेल समिति- जिसमें नॉर्वेजियन संसद द्वारा नियुक्त पांच सदस्य होते हैं- अंतिम निर्णय करती है। वर्तमान समिति का नेतृत्व PEN इंटरनेशनल के नॉर्वेजियन शाखा के प्रमुख कर रहे हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने वाला एक संगठन है। इन सभी को नॉर्वेजियन राजनीतिक दलों द्वारा प्रस्तावित किया जाता है और उनकी नियुक्तियां नॉर्वेजियन संसद में सत्ता संतुलन को दर्शाती हैं।
 
नोबेल शांति पुरस्कार रहे हैं विवादित
नोबेल शांति पुरस्कार को अकसर राजनीतिक संदेश देने वाले निर्णय के रूप में देखा गया है। नोबेल वेबसाइट की जानकारी के अनुसार  कुछ विजेता 'बेहद विवादास्पद राजनीतिक व्यक्ति' रहे हैं। पुरस्कार ने अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय संघर्षों पर सार्वजनिक ध्यान भी आकर्षित किया है। बराक ओबामा को यह पुरस्कार केवल कुछ महीनों के भीतर राष्ट्रपति बनने के बाद दे दिया गया था। 1973 में अमेरिका के विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर और वियतनामी नेता ले डक थो को वियतनाम युद्ध समाप्त करने के लिए पुरस्कार दिए जाने पर समिति के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। 1994 में जब फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात को इज़राइल के शिमोन पेरेस और यित्जाक राबिन के साथ संयुक्त रूप से पुरस्कार दिया गया, तब भी एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया था। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma

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