इस्तांबूल/दमिश्क। तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप में मरने वालों की संख्या 15,000 से अधिक हो गई जबकि करीब 68,000 लोग घायल हुए हैं। वहीं, बचावकर्मी कड़ाके की ठंड में मलबे में फंसे लोगों को बचाने के लिए पूरे दमखम के साथ जुटे हुए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि 2.3 करोड़ तक लोग भूकंप से प्रभावित हो सकते हैं। उन्होंने विभिन्न देशों से प्रभावित इलाकों में तत्काल सहायता पहुंचाने का अनुरोध किया है।
भूकंप के बाद से ही राहत और बचाव दल लगातार कड़ाके की ठंड में जीवन बचाने के मिशन में जुटे हुए हैं। वे अभी भी खंडहरों में फंसे हुए लोगों को निकालने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। कई शहरों में तापमान 9 से माइनस 2 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है।
तुर्की के कहारनमारस में कई लोगों ने लगातार भूकंप के बार-बार आ रहे झटकों के बीच ठंडी बारिश और हिमपात के बीच मस्जिदों, स्कूलों और यहां तक कि बस शेल्टरों में शरण ली है। मदद पहुंचने में देरी से लोगों में निराशा बढ़ रही है। गाजियांटेप शहर के लोगों को भी मदद की दरकार है।
विशेषज्ञों का कहना है कि 6 फरवरी को आए भूकंप की वजह से तुर्की की भौगोलिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव आया है। यहां टैक्टोनिक प्लेट्स 10 फीट (3 मीटर) तक खिसक गई हैं।
मलबे से एक नवजात को जिंदा निकाले जाने और पिता द्वारा अपनी मृत बेटी का हाथ पकड़े जाने के दिल दहला देने वाले दृश्य सोशल मीडिया पर लगातार सामने आ रहे हैं।
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने एक वर्ष के भीतर क्षतिग्रस्त क्षेत्रों के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि शुरुआत में हवाई अड्डों एवं सड़कों पर समस्याएं थी लेकिन आज चीजें आसान हो रही हैं तथा कल यह और भी आसान हो जाएगी। हमने अपने सभी संसाधन जुटा लिए हैं। देश अपना काम कर रहा है।