न्यूयॉर्क। फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग यह दावा करते रहे हैं कि 'आपकी प्राइवेसी और सुरक्षा हमारे लिए सबसे ऊपर है, इसलिए हमने वॉट्सएप मैसेंजर में एंड टू एंड एन्क्रिप्शन फीचर लॉन्च किया है। एंड टू एंड एन्क्रिप्ट होने से आपके मैसेज, फोटो, वीडियो, वॉइस मैसेज, डॉक्यूमेंट, स्टेटस और कॉल सुरक्षित हो जाते हैं और उन्हें कोई देख, सुन या पढ़ नहीं सकता। यहां तक कि कंपनी खुद भी नहीं...' । लेकिन इस दावे की सत्यता पर सवाल उठने लगे हैं और कहा जा रहा है कि यह सबसे बड़ा झूठ है। कंपनी वॉट्सएप के 200 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के साथ यह धोखेबाजी कंपनी लंबे समय से करती चली आ रही है।
प्रोपब्लिका की इस रिपोर्ट के अनुसार वॉट्सएप के ऑस्टिन, टेक्सास, डबलिन और सिंगापुर ऑफिस में 1000 से ज्यादा अनुबंधित कर्मचारी यूजर्स के कंटेंट के हर अंश की जांच करते हैं। वे कम्प्यूटर लेकर पॉड्स में बैठे घंटों के आधार पर काम करने वाले ये कर्मी यूजर के निजी मैसेज, फोटो और वीडियो स्ट्रीम करने के लिए फेसबुक के खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं।
यूजर्स की स्क्रीन पर क्या फ्लैश होना है, ये कर्मी ही यह तय करते हैं। जब से फेसबुक ने 2014 में 1.33 लाख करोड़ रुपए में वॉट्सएप को खरीदा था तबसे ही वह यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि ऐसी सर्विस से फायदा कैसे कमाया जाए, जो ग्राहकों से एक पैसा भी नहीं लेती। संभवत: यूजर्स की गोपनीयता से समझौते की एक बड़ी वजह यह भी हो सकती है।