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...तो आप भी बंद कर देंगे अपना फेसबुक अकाउंट

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आप जिस खुली आजादी के साथ फेसबुक का उपयोग कर हैं, उतनी ही आजादी के साथ फेसबुक ने एक ऐसा काम कर डाला है, जिसे पढ़कर आप तुरंत अपना फेसबुक डिलीट करने के बारे में सोचने लग जाएंगे। फेसबुक ने अपने निजी फायदे के लिए करोड़ों यूजर्स का डेटा थर्ड पार्टी को बेच दिया है।


फेसबुक में डेटा चोरी और डेटा लीक होने के तत्कालीन मामलों के बाद अब उसकी विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान लग गया है और यही कारण है कि फेसबुक की साख में जबरदस्त गिरावट आई है। उसे दो तरफा मार तब लगी, जब शेयर बाजार में उसके शेयर 7 फीसदी तक टूटे तो दूसरी ओर कंपनी की मार्केट वैल्यू 35 अरब डॉलर तक गिर गई।

यही कारण है कि अमेरिका में इन दिनों फेसबुक को लेकर तहलका मचा हुआ है। कारण साफ है कि कंपनी ने अपने फायदे के लिए आपका तमाम डेटा किसी दूसरे को हवाले कर दिया है, वह भी किसी सूचना के बगैर। ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिका के राष्‍ट्रपति पद में डोनाल्ड ट्रंप की 'ताजपोशी' में भी फेसबुक ने अहम किरदार निभाया है।

2016 में राष्ट्रपति के चुनाव में ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ नामक एक डेटा एनालिटिक्स फर्म का नाम सामने आया था, जो डोनाल्ड ट्रंप को उनके लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद कर रही थी। तब कैम्ब्रिज एनालिटिका पर आरोप लगे थे कि उसने 5 करोड़ फेसबुक यूजर्स का निजी डाटा चुराया है।

यूरोपीय सांसदों ने फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स के डेटा चुराने की घटना को गंभीरता से लिया था और वे फेसबुक से यह जानना चाहते थे कि कैंब्रिज एनालिटिका फर्म ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका में राष्ट्रपति बनाने में कितनी मदद की थी? यूरोपीय सांसदों के आरोपों के बाद सीधे-सीधे फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग पर अंगुलियां उठीं हैं, क्योंकि वे भी इस गोरखधंधे में लिप्त नजर आ रहे हैं।

जकरबर्ग को सरकार के सामने सफाई देने के लिए बुलाया गया है। अमेरिकी सीनेटरों ने मार्क जकरबर्ग को कांग्रेस के सामने पहले गवाही देने के लिए कहा है कि फेसबुक उपयोगकर्ताओं की रक्षा कैसे करेगा, वह यह साबित करे। यूरोपीय संसद के प्रमुख ने कहा है कि क्या डेटा का दुरुपयोग किया गया था, इसकी जांच होगी।

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा के प्रवक्ता ने कहा कि वे भी इस खुलासे को लेकर बहुत परेशान हैं। डेटा चोरी और डेटा लीक होने के खुलासे से हर कोई यह जानना चाहता है कि क्या फेसबुक का उपयोग अमेरिकी 'राष्ट्रपति चुनाव' 2016 या ब्रिटेन के 'ब्रेक्सिट जनमत' के परिणाम को प्रभावित करने के लिए किया गया था या नहीं? अगर यह इस्तेमाल हुआ है तो यह हर फेसबुक यूजर के खिलाफ एक षड्यंत्र की तरह देखा जाना चाहिए, क्योंकि इस हरकत से फेसबुक यूजर्स की भावनाएं आहत हुई हैं।

2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले 2014 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के एलेक्सेंडर क्रूगर ने फेसबुक के लिए पर्सनालिटी टाइप जानने के लिए एक 'क्विज' बनाई थी। कैंब्रिज एनालिटिका में काम करने वाले क्रिस्टोफर विल्ले ने बताया कि लगभग 2.7 लाख लोग इस क्विज में शामिल हुए। 50 लाख से अधिक लोगों का डेटा एक झटके में फेसबुक के हाथ लग गया।

इस डेटा को फेसबुक ने कैम्ब्रिज एनालिटिका को बेचा। इसी के जरिए सभी लोगों की प्रोफाइल का अध्ययन किया गया। उनके मनोविज्ञान के अनुसार, ट्रंप से संबंधित खबरें और सूचनाएं उन तक प्रसारित की गईं। डेटा उस समय फेसबुक के बुनियादी ढांचे का उपयोग करके इकट्ठा हुआ था। कई अन्य डेवलपर्स ने इसका लाभ उठाया था, लेकिन डेटा दूसरों के साथ शेयर करने के लिए फेसबुक ने किसी यूजर से अनुमति ली ही नहीं थी।

यहां किसी को सीधे यह नहीं पता था कि वे संभवतः ट्रंप के चुनाव अभियान के साथ अपने डेटा शेयर कर रहे थे। इस मामले में फेसबुक का कहना है कि जब उन्होंने देखा कि उनके नियमों का उल्लंघन हुआ है तो उन्होंने ऐप हटा दिया और आश्वासन दिलाया कि सारी शेयर की गई सूचना को हटा दिया गया था।

म्ब्रिज एनालिटिका का दावा है कि उसने डेटा का कभी इस्तेमाल नहीं किया। फेसबुक और यूके के सूचना आयुक्त दोनों ही यह जानना चाहते हैं कि यह ठीक से नष्ट हो गया था या नहीं क्योंकि विल्ले का दावा है कि यह कभी नष्ट नहीं किया गया। कैम्ब्रिज एनालिटिका ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

यदि कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा आरोपों को नकारने की बात मान भी लें तो वो हकीकत क्या थी जो चैनल 4 न्यूज ने स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया था। चैनल 4 न्यूज ने कैम्ब्रिज एनालिटिका के अधिकारियों से मिलने के लिए एक गुप्त पत्रकार को भेजा था। बातचीत के दौरान फर्म को ट्रंप को राष्ट्रपति की जीत में मदद करने के लिए श्रेय दिया गया था।

रिपोर्टर को श्रीलंका का एक व्यापारी समझा गया जो स्थानीय चुनावों को प्रभावित करना चाहता था। कैम्ब्रिज एनालिटिका के सीईओ अलेक्जेंडर निक्स ने शेखी बघारते हुए कहा कि उनकी फर्म छोटे से कैम्पेन से किसी का राजनीतिक करियर तबाह कर सकती है। चाहे वह पैसे से हो या प्रॉस्टिट्यूट के इस्तेमाल से। साफ जाहिर है कि कहीं ना कहीं गड़बड़ जरूर है जो सामने आनी चाहिए ताकि फेसबुक अपने यूजर्स का विश्वास जीत सके।

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