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Israel-Iran War : इजराइल में ईरानी मिसाइलों का खौफ, भूमिगत ट्रेन स्टेशन में शरण ले रहे लोग

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

रमात गान (इजराइल) , शनिवार, 21 जून 2025 (00:20 IST)
Israel-Iran War case : ईरानी मिसाइल हमलों के डर से इजराइल में कई लोग भूमिगत ट्रेन स्टेशन में पनाह ले रहे हैं क्योंकि हमले का सायरन बजने पर उन्हें अचानक इधर-उधर भागने पर मजबूर होना पड़ता है। लोग चिंता और रात में बजने वाले सायरन के कारण सो नहीं पा रहे हैं। हर बार आश्रय स्थल की ओर भागना बहुत डरावना है। रेलवे स्टेशन पर पजामा पहने सैकड़ों लोगों का दृश्य देखकर उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की अपने दादा की कहानियां याद आ गईं। एक सप्ताह पहले इजराइल ने ईरान पर हवाई हमलों की शुरुआत की थी। इसके बाद दोनों तरफ से हमले हो रहे हैं।
 
अजीजा मेलेक ने हाल ही में एक शाम को इजराइल के एक भूमिगत स्टेशन में अपने गद्दे पर लेटकर कई दिनों में पहली बार आराम महसूस किया। कम से कम अगले कुछ घंटों तक 34 वर्षीय मेलेक को हर बार ईरानी मिसाइलों की चेतावनी वाले सायरन बजने पर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एक सप्ताह पहले इजराइल ने ईरान पर हवाई हमलों की शुरुआत की थी। इसके बाद दोनों तरफ से हमले हो रहे हैं। इजराइल में देखने में आया है कि छोटे बच्चों वाले परिवार, विदेशी कर्मचारी और युवा पेशेवर हर शाम स्टेशनों पर गद्दे, ‘स्लीपिंग बैग’, हल्का नाश्ता और पालतू जानवर लेकर आते हैं। ये लोग सुरक्षा की दृष्टि से यहां आश्रय ले रहे हैं।
 
बुधवार रात को तेल अवीव और पड़ोसी रमात गान के बीच स्थित एक स्टेशन पर माता-पिता अपने बच्चों के साथ बैठे नजर आए जबकि कई युवा अपने टैबलेट पर फिल्में देख रहे थे। कई लोग पिज्जा के डिब्बे लेकर अंदर आते दिखे। यह मेलेक की पहली रात थी जब वह चमकदार रोशनी वाले रेलवे स्टेशन पर सो रही थीं और उनके साथ उनकी दोस्त सोनिया श्राइबमेन भी थीं।
ईरान के हमलों का जिक्र करते हुए श्राइबमेन ने कहा, हम चिंता और रात में बजने वाले सायरन के कारण सो नहीं पा रहे हैं। हर बार आश्रय स्थल की ओर भागना बहुत डरावना है। हाल में श्राइबमेन निकटवर्ती आश्रय स्थल की ओर भागते समय सड़क पर गिर पड़ीं, जिसके बाद उन्होंने ऐसी जगह जाने का निर्णय लिया, जहां उन्हें हर बार सायरन बजने पर उठकर भागना न पड़े।
मेलेक ने कहा कि रेलवे स्टेशन पर पजामा पहने सैकड़ों लोगों का दृश्य देखकर उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान की अपने दादा की कहानियां याद आ गईं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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