प्योंगयांग। उत्तर कोरिया में इन दिनों महंगाई आसमान पर है। यहां के हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। देश के पास सिर्फ 2 महीने का खाना बचा है। ऐसे में राष्ट्रपति किम जोंग उन ने लोगों को 2025 तक कम खाने का फरमान सुना दिया है ताकि देश खाद्य संकट से उभर सके।
उत्तर कोरिया में चीनी, सोयाबिन ऑयल और आटे के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। उत्तर कोरिया में एक किलो मक्का की कीमत 3137 वॉन तक पहुंच गई, ये भारतीय मुद्रा में 200 रुपए प्रति किलो के बराबर है। इसी तरह यहां कॉफी 7300 रुपए प्रति किलो है तो चीय पत्ती 5100 रुपए प्रति किलो मिल रही है।
फलों के दाम भी यहां आसमान छू रहे हैं। मात्र 1 किलो के लिए लोगों को 3300 रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं। शैंपू की एक बोतल 14000 रुपए में आ रही है।
लोगों का कहना है कि भोजन की कमी की वजह से आने वाली सर्दियों में हालात और बिगड़ सकते हैं। 3 साल में हालात बद से बदतर हो सकते हैं।
क्या है खाद्य संकट का कारण : उत्तर कोरिया ने कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए चीन के साथ अपनी सीमा को बंद कर दिया था और इसके इस कदम ने उत्तर कोरिया की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं, क्योंकि सप्लाई कम होने की वजह से मांग तेजी से बढ़ गई।
दूसरी ओर खाद्य संकट के लिए उत्तर कोरिया उन पर लगाए गए प्रतिबंधों, प्राकृतिक आपदाओं और वैश्विक कोरोनावायरस महामारी का हवाला देते हुए देश में भोजन की कमी के लिए बाहरी कारकों को जिम्मेदार ठहराया है।