पेरिस। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऑकस समझौते से फ्रांस बेहद नाराज है। इस यूरोपीय देश ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूत वापस बुलाने का फैसला किया है।
फ़्रांस के विदेश मंत्री ज़्यां ईवरे द्रियां ने शुक्रवार रात जारी बयान में कहा कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निवेदन पर राजदूतों को वापस बुलाया गया है।
ऑकस समझौते ने फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच 43 अरब डॉलर के समझौते को खत्म कर दिया है। यह सौदा ऑस्ट्रेलिया का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा माना गया था। फ्रांस ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन पर पीठ में छुरा भोंकने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरह व्यवहार कर रहे हैं।
इससे पहले 2003 में इराक युद्ध के समय भी अमेरिका और फ्रांस में मतभेद दिखाई दिए थे। हालांकि पहली बार फ्रांस ने अमेरिका से राजदूत बुलाने का फैसला किया है।
क्या है ऑकस समझौता?
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद प्रशांत में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच, इस क्षेत्र के लिए एक नए त्रिपक्षीय सुरक्षा गठबंधन ऑकस की घोषणा की। इसका उद्देश्य अपने साझा हितों की रक्षा करना और परमाणु ऊर्जा से संचालित पनडुब्बियां हासिल करने में ऑस्ट्रेलिया की मदद करना है। चीन के साथ ही फ्रांस और यूरोपीय संगठन ने भी ऑकस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। इनकी शिकायत की है कि उन्हें इस गठबंधन से न केवल बाहर रखा गया, बल्कि उनके साथ इस मामले में कोई चर्चा भी नहीं की गई।