Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Rishi Sunak: स्कूल के हेडबॉय बनने से ब्रिटेन के PM दावेदार बनने तक का सफर, कुछ यूं रहा ऋषि सुनक का संघर्षपूर्ण जीवन

हमें फॉलो करें Rishi Sunak: स्कूल के हेडबॉय बनने से ब्रिटेन के PM दावेदार बनने तक का सफर, कुछ यूं रहा ऋषि सुनक का संघर्षपूर्ण जीवन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद एक व्यक्ति अचानक सुर्खियों में आ जाता है। ये व्यक्ति ब्रिटेन के रिचमंड (Richmond) से सांसद है और बोरिस जॉनसन की सरकर में विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार भी संभाल चुका है। लेकिन, चर्चा का विषय यह है कि व्यक्ति भारतवंशी है। बात हो रही है ऋषि सुनक की, जिन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश की है। इस रेस में उनके अलावा 3 उम्मीदवार और हैं।
 
लेकिन, ब्रिटेन की जनता का उनके प्रति प्रेम और बोरिस जॉनसन की सरकार में उनकी सक्रियता इस बात इस बात की ओर इशारा कर रही है कि वे ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं। आइए जानते हैं ऋषि सुनक के जीवन से जुड़ी वो बातें जिन्हें शायद बहुत कम लोग जानते हैं। 
 
ऋषि के दादा-दादी पंजाब से ताल्लुक रखते थे। उनकी पिता यशवीर सुनक का प्रारंभिक जीवन केन्या में बीता तो वहीं उनकी माता की परवरिश तंजानिया में हुई। 1960 के दशक में ऋषि के माता-पिता ब्रिटेन आ गए, जहां 12 मई 1980 को सॉउथैंप्टन में ऋषि सुनक का जन्म हुआ। 
 
बचपन में लाइट वाली तलवार से दुश्मनों को मारने का था सपना :
'स्टार वॉर्स' मूवी देख चुके लोगों ने 'जेडी' के बारे में तो सुना ही होगा। यह कैरेक्टर अपने हाथों में रोशनी से बनी तलवार लेकर दुश्मनों को खात्मा करता था। ऋषि सुनक स्टार वॉर्स के इतने बड़े फैन थे कि वे बड़े होकर जेडी ही बनना चाहते थे। उन्होंने स्टार वॉर्स के सैकड़ों स्टिकर्स का खासा कलेक्शन भी कर रखा था। 
 
कभी स्कूल की फीस देने के लिए बनना पड़ा वेटर:
उनकी प्रारंभिक शिक्षा हैम्पशायर और विंचेस्टर में हुई। आज करोड़ों डॉलर के मालिक ऋषि सुनक के जीवन में एक पल ऐसा भी आया था, जब उनके पास अपने स्कूल की फीस भरने तक के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में उन्होंने विंचेस्टर के एक होटल में वेटर का काम भी किया। हाई स्कूल में ऋषि अपने स्कूल द्वारा प्रकाशित किए जाने वाले अखबार के संपादक थे साथ ही स्कूल के हैडबॉय भी रहे।  इसके बाद उन्होंने स्टैनफोर्ड और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीतिक विज्ञान, दर्शनशास्त्र और अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की। ऋषि को लेखन में भी रुचि है। अब तक उनके द्वारा लिखी गई 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। 
 
2001 में बीबीसी ने ब्रिटेन में रहने वाले मिडिल क्लास लोगों के संघर्षों को लेकर एक डॉक्यूमेंटरी बनाई, जिसका नाम था - Middle Classes: Their Rise and Sprawl. इस डॉक्यूमेंटरी के तहत ऋषि और उनके माता-पिता का इंटरव्यू लिया गया। ये इंटरव्यू उस समय खूब वायरल हुआ। ऋषि ने अपने छात्र जीवन में कन्जर्वेटिव पार्टी हेडक्वार्टर्स के साथ इंटर्नशिप भी की थी। ये वही पार्टी थी, जिससे जुड़कर वे 2 बार के सांसद बने और उन्होंने अलग-अलग सरकारों में 3 मुख्य मंत्रालयों को संभाला। 
 
पत्नी अक्षता और ससुर नारायण मूर्ति की वजह से विवादों में रहे ऋषि:
ऋषि ने सबसे पहले बिजनेस के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाई। 2001 से लेकर 2010 तक उन्होंने डेटा एनालिस्ट, इन्वेस्टमेंट डायरेक्टर और फंड मैनेजर जैसे पदों पर रहकर कार्य किया। अगस्त 2009 में ऋषि ने इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी कर ली। दोनों की मुलाकात स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में हुई। ऋषि और अक्षता ने दो बेटियों को जन्म दिया।  
अक्षता मूर्ति के पास इंफोसिस 0.91% शेयर हैं, जिनकी कीमत 900 मिलियन डॉलर है। इस वजह से अक्षता ब्रिटेन की सबसे धनी महिलाओं में से एक हैं। वहीं ऋषि सुनक की कुल संपत्ति 865 मिलियन डॉलर है। भारतीय मूल के ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता को इतनी संपत्ति अर्जित करते देखना देश के कई मंत्रियों और प्रभावशाली व्यक्तियों को खलता रहा है। 
 
अमेरिका रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद शुरुआत से ही रूस पर निशाना साधता रहा है। ऐसे में नारायण मूर्ति ने रूस की इंफोसिस यूनिट को बंद नहीं किया था, इसके चलते भी ऋषि को कई बार विवादों में रहना पड़ा। 
 
'गिफ्ट' में मिली सीट ने दिया ब्रिटेन सरकार में सर्वोच्च मंत्री पद:
2014 में ऋषि ब्रिटेन की रिचमंड (योर्क्स) सीट से सांसद बने। देखा जाए तो ये सीट ऋषि को 'गिफ्ट' में मिली। क्योंकि ये सीट कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व राष्टीय अध्यक्ष विलियम हॉग की थी और ये सीट पिछले 100 वर्षों से कंजर्वेटिव पार्टी के पास है। सांसद बनते ही ऋषि ने कई ऐसे काम किए जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ा। ऋषि पार्टी का एक युवा चेहरा थे, यही कारण था कि 2017 के आम चुनावों में उन्होंने और अधिक मतों से जीत हासिल की।  
 
दूसरी बार सांसद बनने के बाद उनके कार्य और लोकप्रियता को देखते हुए ब्रिटेन सरकार ने उन्हें ट्रेजरी के सेक्रेटरी के रूप में नियुक्त किया। इसके बाद 2020 में वे ब्रिटेन सरकार के सर्वोच्च पदों में से एक माने जाने वाले वित्त मंत्री के पद पर आसीन हुए। 
 
वित्त मंत्री रहते हुए जारी किया गांधी और कमल के फूल वाला सिक्का:
2015 में जब वे पहली बार सांसद बने तो उन्होंने गीता पर हाथ रखकर शपथ ली। ब्रिटेन के वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने पिछले साल दीपावली पर महात्मा गांधी और कमल के फूल वाला सिक्का जारी किया। उन्होंने कहा कि ये सिक्का जारी करते हुए मुझे अपने हिंदू होने पर गर्व हो रहा है। ऋषि को वार-त्योहारों पर अक्सर अपने परिवार के साथ मंदिर जाते देखा गया है। 
 
'जॉब रिटेंशन स्कीम' और 'कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस' जैसे मुद्दों से हुआ बड़ा नुकसान:
कोरोना महामारी से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था की कमर टूट चुकी थी। देश की जनता पूर्णतः असंतुष्ट नजर आ रही थी। ऐसे में साल 2020 में वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने 'जॉब रिटेंशन स्कीम' लॉन्च की, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को आर्थिक मदद पहुंचाना था। ये स्कीम ऋषि की प्लानिंग के अनुसार काम नहीं कर पाई और इसके फेल होने का दोष ऋषि को झेलना पड़ा। उन पर करोड़ों रुपयों का फ्रॉड करने के आरोप भी लगाए गए।
 
2021 में ब्रिटेन में 'कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस' नाम का एक बड़ा आर्थिक संकट आया, जिससे देश का लगभग हर व्यक्ति प्रभावित हुआ। बोरिस जॉनसन सरकार और वित्त मंत्री ऋषि सुनक की नीतियों की जमकर आलोचना हुई। ऋषि ने सफाई में कहा कि देश में फैली आर्थिक अव्यवस्था का कारण कोरोना वायरस और रूस-यूक्रेन युद्ध है। विपक्षी दल के नेताओं ने कहा कि ऋषि ने शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र को बढ़ावा देते पर इतना खर्च कर दिया कि देश की आम जनता अपनी प्राथमिक जरूरतें भी पूरी नहीं कर पा रही हैं। इसी साल ब्रिटेन के 'चीफ ऑफ बजट रेस्पॉन्सिबिलिटी' ने कहा कि 1940 के बाद आज का दिन है, जब ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था हाशिए पर कड़ी है। 
 
पत्नी के नॉन-डॉमिसाइल स्टेटस के चलते लगाने पड़े कोर्ट के चक्कर:
सुनक की पत्नी अक्षता के पास नॉन-डॉमिसाइल स्टेटस था, जिसके चलते उन्हें विदेश से होने वाली कमाई पर टैक्स नहीं देना पड़ता था। दावा किया गया था कि वे प्रतिवर्ष 30 हजार ब्रिटिश पाउंड्स देती हैं, जिससे उन्हें 20 मिलियन पाउंड्स का टैक्स ना देना पड़े। इस बात के चलते ऋषि को भी कई बार विवादों के दायरे में रहना पड़ा। गार्डियन अखबार ने लिखा कि ऋषि सुनक ब्रिटेन के नागरिकों पर तो भर-भरकर टैक्स लगाते हैं, लेकिन उनके परिवार में इतना बड़ा स्कैम हो रहा है, इस पर वे चुप हैं। 2021 में इस मामले में सुनक दंपत्ति पर मुकदमा भी चलाया गया, जिसमें ये पाया गया कि दोनों ने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया। 
 
नियम तोड़ने वाले पहले चांसलर बने ऋषि सुनक:
लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने और सांसद क्रिस पिंचर पर लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते ब्रिटेन सरकार निशाने पर आ गई। जिस पार्टीगेट मामले में बोरिस जॉनसन की बदनामी हुई, उस मामले में ऋषि सुनक पर भी फिक्स्ड पेनाल्टी लगाई गई थी, जिसके बाद वे चांसलर के पद पर रहते हुए नियम तोड़ने वाले पहले व्यक्ति बने। 
 
ऋषि के इस्तीफे के दो दिन बाद ही गिर गई जॉनसन सरकार:
5 जुलाई 2022 को ऋषि सुनक ने ये कहते हुए वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया कि उनके और प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के मध्य वैचारिक असमानताएं हैं। ब्रिटेन की जनता चाहती है कि नेतृत्व ठीक ढंग से काम करे लेकिन जॉनसन सरकार कई मोर्चों पर नाकामयाब साबित हुई है। सुनक के इस्तीफे के दो दिन बाद बोरिस जॉनसन की सरकार गिर गई, जिसके अगले ही दिन ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी पेश कर दी। जॉनसन की नीतियों का समर्थन करने वाले कंजर्वेटिव पार्टी के नेताओं ने ऋषि पर सरकार गिराने का आरोप लगाया।
 
2014 से लेकर 2020 तक एक सांसद और ट्रेजरी के सचिव के रूप में काम करते हुए ऋषि सुनक जनता के बीच खूब लोकप्रिय हुए। इसी साल आयोजित एक सर्वे में वे ब्रिटेन के सबसे लोकप्रिय नेता चुने गए। लेकिन, कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस और अपनी अटूट संपत्ति के चलते ऋषि की पब्लिक इमेज को बहुत नुकसान हुआ। 
 
क्या पब्लिक इमेज दे पाएगी ऋषि सुनक को प्रधानमंत्री पद?
इन सबके बाद भी ब्रिटेन में ऋषि की लोकप्रियता कम नहीं है। इसका नतीजा ब्रिटेन में जारी प्रधानमंत्री के चुनाव के पहले राउंड में देखने को मिल गया, जहां 108 अंकों के साथ ऋषि सुनक प्रधानमत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं। सितंबर के पहले हफ्ते में इस बात की घोषणा की जाएगा कि ब्रिटेन की बागडोर कौन संभालेगा। अगर ऋषि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनते हैं, तो वे पहले भारतवंशी ब्रिटिश प्रधानमंत्री होंगे।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अफ्रीका में इबोला जैसे खतरनाक मारबर्ग वायरस की दस्तक, 2 की मौत, 98 क्वारंटीन