गुवाहाटी। पच्चीस साल पहले भारत से लापता हुई एक बच्ची जब पाकिस्तान में मिली तो हर कोई हैरान रह गया। असम के धुबरी जिले से मोमिना के पाकिस्तान पहुंचने से लेकर वापस भारत में अपने रिश्तेदारों को ढूंढ निकालने की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नही है। न्यूज 18 की असम नार्थ ईस्ट की न्यूज एडिटर तूलिका देवी ने खुद पाकिस्तान में मोमिना से बात करके इस पूरे मामले का जायजा लिया।
गुवाहाटी से करीब 300 किलोमीटर दूर स्थित धुबरी जिले के गुल्लकगंज के एक छोटे से कस्बे में 14 साल की मोमिना अचानक लापता हो गई। पुलिस में गुमशुदगी का मामला दर्ज हुआ पर जैसा अधिकतर मामलों में होता है, बच्ची का पता नही चला। वक्त बीतता गया और घर वालों ने भी मोमिना के मिलने की आस छोड़ दी। मोमिना कहां है, किस हाल में है, किसी को इसकी खबर नहीं थी।
मोमिना को लापता हुए 25 साल से भी ज्यादा समय बीत गया, इस दौरान मोमिना की मां भी अपनी बेटी का गम दिल में लिए इस दुनिया से चल बसीं। घर के दूसरे सदस्यों ने भी उसके जिन्दा होने की आस छोड़ ही दी थी। 25 साल बाद पाकिस्तान से उसी मोमिना ने अपने घर वालों से बात की और न्यूज 18 बना इस खास लम्हे का गवाह बना। मोमिना की उम्र अब करीब 40 साल की है, अपने परिवार के बारे में उसे ज्यादा कुछ याद नहीं है, पर जब अपने अपनों से उसने बातें की तो उसकी आंखें अपने आप छलक पड़ीं।
फेसबुक ने बिछड़े हुओं को मिलाने का काम किया। मोमिना के जेहन में सिर्फ अपने इलाके का नाम--गुल्लकगंज और यहां के एक पुल की धुंधली सी याद थी। कंक्रीट का यही पुल मोमिना के खो चुके रिश्तों को जोड़ने वाला पुल बना। दरअसल गुल्लकगंज के ही एक लाइब्रेरियन मजिनुर रहमान को पाकिस्तान से एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई और फिर सारी कड़ियां अपने आप जुड़ती गईं।
मजिनुर रहमान को ये रिक्वेस्ट मोमिना के पति की पहली पत्नी के नवासे ने भेजी थी। इसी नवासे ने अपनी मोमिना नानी के परिवार को ढूंढ निकाला। इस कहानी का सुखद अंत यही है कि वह पाकिस्तान में सुरक्षित हैं। अब दोनों देशों के परिवार आपस में मिलना चाहते हैं लेकिन उनके सामने कई मुश्किलें हैं। एक तरफ मोमिना अपने बीमार पति और छोटे बच्चों को छोड़कर भारत नहीं आ सकती। दूसरी तरफ गरीबी के कारण असम का परिवार भी मोमिना से मिलने नहीं जा सकता। दोनों परिवार अब एक दूसरे से मिलने के लिए मदद की गुहार लगा रहे हैं। (न्यूज 18 से साभार)