न्यूयॉर्क। अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने H-1B वीजा में बड़ी बदलाव की तैयारी का प्रस्ताव दिया है। इस कारण H-1B वीजा के अंतर्गत न सिर्फ खास पेशों की परिभाषा को बदला जाएगा बल्कि 'फॉरेन वर्क वीजा कैटेगरी' के अंतर्गत परिभाषा को भी बदला जाएगा जो कि भारतीयों में काफी प्रचलित है।
ट्रंप प्रशासन के इस कदम के कारण अमेरिका में काम कर रही भारतीय आईटी कंपनियों पर काफी प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं, इंडियन-अमेरिकन लोगों द्वारा चलाई जा रही छोटी और मध्यम कैटेगरी की आईटी कंपनियों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।
इसके पहले आईटी क्षेत्र की एक हजार से अधिक छोटी कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक समूह ने अमेरिका की इमीग्रेट एजेंसी के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। यह मुकदमा तीन साल से कम अवधि के लिए एच-1बी वीजा जारी करने को लेकर किया गया था।
दरअसल, सामान्य रूप से एच-1बी वीजा तीन साल से छह साल के लिए जारी किया जाता है। इस वीजा के तहत अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञता वाले खास काम के लिए विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करती है। खबरों के मुताबिक, नया प्रस्ताव 2019 तक बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि खास पेशों की परिभाषा को इसलिए फिर से परिभाषित किया जाएगा, ताकि एच-1 बी वीजा के तहत प्रतिभाशाली लोगों को लिया जा सके। यह रोजगार और एंप्लॉयर-एंप्लॉई संबंधों को भी फिर से परिभाषित करेगा ताकि अमेरिकी कामगारों के हितों की रक्षा की जा सके।
डीएचएस ने कहा कि विदेशी लोगों की तरफ से दायर किए गए अंतरिम रेग्यूलेशन गवर्निंग याचिका को भी यह अंतिम रूप दे रहा है, जिसके तहत एच-1 बी वीज़ा गैर-इमीग्रेट कैटेगरी पर लागू होता है।