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एच-1बी वीजा मामले में फिर से विचार की जरूरत : मनीष तिवारी

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हमें फॉलो करें H-1B visa case
, गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017 (18:20 IST)
वॉशिंगटन। अमेरिका के ट्रंप प्रशासन को एच-1बी वीजा मामले में अपनी स्थिति पर फिर से विचार करना चाहिए। यदि वह वीजा कटौती के अपने रुख पर आगे बढ़ता है तो यह भारत-अमेरिका संबंधों में एक भावनात्मक अवरोध बन खड़ा हो सकता है। यह बात भारत के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कही।
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक कार्यकारी आदेश पर विचार कर रहे हैं जिसमें इस प्रकार के कार्यवीजा और कुशल श्रमबल के प्रवाह पर अंकुश लगाने के प्रावधान हैं। प्रशासन की इस पहल का भारतीय आईटी कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव होगा।
 
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां कहा कि अमेरिकी सरकार को एच-1बी वीजा मामले में अपनी स्थिति पर फिर से विचार करना चाहिए। भारत ने अमेरिका के प्रौद्योगिकी उद्योग के विकास में काफी बौद्धिक निवेश किया है। 
 
उन्होंने कहा कि इस प्रकार का कोई भी कदम भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में भावनात्मक अवरोध बन सकता है। तिवारी यहां अटलांटिक परिषद की एक मीडिया बैठक में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे। तिवारी इस परिषद में दक्षिण एशिया केंद्र के वरिष्ठ सदस्य हैं।
 
अमेरिका में काम करने के लिए भारतीय पेशेवरों को भेजने के वास्ते भारतीय आईटी कंपनियों को प्राथमिक तौर पर एच-1बी और एल-1 वीजा पर ही निर्भर रहना पड़ता है। नैस्कॉम के अध्यक्ष आर. चन्द्रशेखर के नेतृत्व में भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग के प्रतिनिधियों का एक दल इस सप्ताह आखिर में वॉशिंगटन पहुंचने वाला है। अपनी यात्रा के दौरान यह प्रतिनिधिमंउल अमेरिकी सांसदों व सरकारी अधिकारियों के साथ कई बैठकें करेगा। (भाषा) 

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