वॉशिंगटन। अमेरिका एच-1बी वीजा शुल्क से सृजित कोष का उपयोग अमेरिकियों में कौशल की कमी को पूरा करने में करेगा। वह इस राशि का उपयोग अपनी महत्वाकांक्षी व्यावहारिक औद्योगिक प्रशिक्षण (एप्रेन्टिस) कार्यक्रम के वित्तपोषण में करेगा। अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने यह कहा।
एच-1बी वीजा कार्यक्रम नियोक्ताओं को अस्थायी आधार पर कुशल विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। भारतीय आईटी पेशेवरों में एच-1बी वीजा की मांग सर्वाधिक है। रॉस ने बुधवार को कहा कि ट्रंप प्रशासन ने 'इंडस्ट्री-रिकोग्नाइज्ड एप्रेन्टिसशिप सिस्टम' शुरू किया है। इसका मकसद नियोक्ता की अगुवाई में औद्योगिक प्रशिक्षण को गति देना है।
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त सार्वजनिक वित्तपोषण से यात्रा और पर्यटन उद्योग में 'एप्रेन्टिसशिप' कार्यक्रम शुरू करने में मदद मिल सकती है।
रॉस के अनुसार श्रम विभाग के पास 30 'एप्रेन्टिसशिप' अनुदान के लिए 10 करोड़ डॉलर का वित्तपोषण उपलब्ध है। यह नए 'एप्रेन्टिसशिप मॉडल' के विकास और मौजूदा 'एप्रेन्टिसशिप' कार्यक्रमों का विस्तार को लेकर सार्वजनिक/निजी भागीदारी के लिए जाएगा।
अमेरिकी यात्रा और पर्यटन परामर्श बोर्ड को संबोधित करते हुए वाणिज्य मंत्री ने कहा कि इसके लिए वित्तपोषण एच-1बी वीजा कार्यक्रम के तहत विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने के एवज में कंपनियों के शुल्क से होगा। (भाषा)