पाकिस्तान की इमरान खान सरकार के खिलाफ विपक्षी मोर्चे के अविश्वास प्रस्ताव के बीच लगातार राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, जिसके बाद प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी अब खतरे में नज़र आ रही है।
पाकिस्तान सेना से लगातार बिगड़ रहे रिश्तों के बीच शुक्रवार को पाक सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने इमरान खान से मुलाकात की है।
अब इमरान खान ने शनिवार यानी आज दोपहर बनिगला स्थित अपने घर पर अपनी पार्टी पीटीआई के नेताओं की बैठक बुलाई है! चर्चा गर्म है कि अविनाश प्रस्ताव से पहले ही इमरान पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है।
पिछले कुछ अरसे में पाकिस्तान सेना से इमरान खान के ताल्लुकात काफी बिगड़ गए। यहां तक की हाल हीं में एक जलसे के दौरान इमरान खान ने कहा था कि सेना पर उन्हें विपक्षी नेताओं पर गलत टिप्पणियां करने से मना किया था, मगर निष्पक्ष तो केवल जानवर होता है। इंसान सही के साथ खड़ा होता है।
माना जा रहा है कि इमरान खान के कार्यकाल में बदतर प्रशासन, चरमराई अर्थव्यवस्था और विफल विदेश नीति के आड़े पाकिस्तान सेना इमरान खान सरकार को अपना समर्थन वापस ले सकती है। कहने वाले तो ये भी कह रहे कि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव भी बगैर सेना के समर्थन के नहीं आता।
देखना दिलचस्प होगा कि सेना प्रमुख से मुलाकात के बाद इमरान खान अपनी पार्टी की बैठक में क्या रुख इख़्तियार करते हैं। एक तरफ जहां उन पर कथित तौर पर इस्तीफे की तलवार लटक रही तो दूसरी तरफ महीने के आखिरी में पाकिस्तानी संसद में उनके खलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना है। इस बीच 23 मार्च को पाकिस्तानी संसद में OIC कांफ्रेंस भी होनी है। तो सवाल ये कि क्या इमरान उसके पहले भी इस्तीफा दे सकते हैं?
बहरहाल इमरान के लिए सर दर्द केवल विपक्षी गठबंधन PDM और आफिस अली जरदारी की पार्टी PPP हीं नहीं बल्कि खुद इमरान के सहयोगी दल PML-Q और MQM-P भी हैं।
कयास हैं कि अगर समय रहते इमरान खाने ने इन दोनों महत्वपूर्ण सहयोगी दलों को नहीं सेना तो इमरान के ये सहयोगी भी अविश्वास प्रस्ताव के हक में वोट कर सकते हैं और फिर इमरान सरकार गिर जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक इमरान खान ने इन सहयोगी दलों की नाराजगियां दूर करने की कोशिशें तेज़ कर दी हैं, मगर इमरान के लिए चुनौती इस बात की है की PML-Q पंजाब में मुख्यमंत्री का पद भी चाहता है. लिहाज़ा इमरान के लिए इन्हें मनाना इतना आसान भी नहीं होगा।
क्या है संसद की स्थिति
342 की पाकिस्तान कि संसद में इमरान खान और उनके सहयोगी दलों के पास 179 सांसद और विपक्ष के पास 162 सांसद हैं, जो इमरान सरकार को हटाने के लिए बहुमत के आकड़े बस 10 कम हैं। ऐसे में सेना से बढ़ती दूरियों के बीच इमरान भी अच्छी तरह जानते हैं कि इस बार उनके लिए कुर्सी बचाना बहुत टेढ़ी खीर है।
वैसे पाकिस्तान में आम चुनाव अगले साल हैं और अगर इमरान सरकार अविश्वास प्रस्ताव में गिर जाती है तो विपक्ष का नेता प्रधानमंत्री पद की शपथ लेगा। हालांकि विपक्ष के कुछ नेताओं का मानना है कि ऐसी सूरत में महज़ कुछ महीनों के लिए सरकार चलाकर इमरान खान को सहानुभूति बटोरने का वक्त देने से बेहतर होगा कि आम चुनाव कराए जाएं।