बीजिंग। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने शुक्रवार को पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया कि पिछले वर्ष जून में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत की सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में उसके चार सैन्यकर्मियों की मौत हुई थी। इनमें से एक जवान की मौत तब हुई जब वह अन्य को मदद देने के लिए नदी पार कर रहा था।
हालांकि हाल ही में रूसी एजेंसी ने दावा किया था भारतीय सैनिकों के साथ हुई झड़प में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे। यह पहला मौका है जब चीन ने आधिकारिक रूप से अपने सैनिकों की मौत की पुष्टि की है। अन्यथा इससे पहले चीन सैनिकों के मरने की बात से स्पष्ट इंकार करता रहा है।
चीन की सेना के आधिकारिक अखबार पीएलए डेली की शुक्रवार की एक खबर के मुताबिक, सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ऑफ चाइना (CMC) ने 5 सैन्यकर्मियों को याद किया और उन्हें विभिन्न उपाधियों से नवाजा जो काराकोरम पहाड़ियों पर तैनात थे और जून 2020 में गलवान घाटी में भारत के साथ सीमा पर संघर्ष में मारे गए थे।
ग्लोबल टाइम्स ने पीएलए डेली की खबर के हवाले से बताया कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व वाली पीएलए की सर्वोच्च इकाई सीएमसी ने क्वी फबाओ को सीमा की रक्षा करने वाले नायक रेजिमेंटल कमांडर की उपाधि दी है। चेन होंगजुन को सीमा की रक्षा करने वाला नायक तथा चेन शियानग्रांग, शियो सियुआन और वांग झुओरान को प्रथम श्रेणी की उत्कृष्टता से सम्मानित किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक पीएलए के 3 जवान संघर्ष में मारे गए जबकि एक अन्य जवान की तब मौत हो गई जब वह अपने साथियों की मदद करने के लिए नदी पार कर रहा था। फबाओ को सिर पर गंभीर चोट आई थी।
5 मई के बाद बढ़ा तनाव : भारत और चीन की सेना के बीच सीमा पर गतिरोध के हालात पिछले वर्ष 5 मई से बनने शुरू हुए थे जिसके बाद पैंगोंग झील क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद दोनों ही पक्षों ने सीमा पर हजारों सैनिकों तथा भारी हथियार एवं युद्ध सामग्री की तैनाती की थी।
गलवान घाटी में 15 जून को हुई झड़प के दौरान भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे। कई दशकों में भारत-चीन सीमा पर हुआ यह सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
चीन के जवानों ने पत्थर, कीलें लगे डंडे, लोहे की छड़ों आदि से भारतीय सैनिकों पर बर्बर हमले किए थे। भारतीय जवानों ने गलवान में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र की ओर चीन द्वारा निगरानी चौकी बनाने का विरोध किया था।
हालांकि पीएलए डेली की रिपोर्ट में दावा किया गया कि चीन के सैन्यकर्मियों पर भारत के जवानों ने हमला किया था। यह पहला मौका है जब चीन ने यह स्वीकार किया है कि गलवान में उसके सैन्यकर्मी मारे गए थे। रिपोर्ट में उनके बारे में विस्तार से जानकारी भी दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से चार सैन्यकर्मी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में भारत की सेना का सामना करते हुए मारे गए।
तास की खबर के बाद चीन पर दबाव : भारत ने घटना के तुरंत बाद अपने शहीद सैनिकों के बारे में घोषणा की थी, लेकिन चीन ने शुक्रवार से पहले आधिकारिक तौर यह कभी नहीं माना कि उसके सैन्यकर्मी भी झड़प में मारे गए। रूस की आधिकारिक समाचार एजेंसी तास ने 10 फरवरी को खबर दी थी कि गलवान घाटी की झड़प में चीन के 45 सैन्यकर्मी मारे गए थे।
पिछले वर्ष, अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि उक्त झड़प में चीन के 35 सैन्यकर्मी मारे गए थे। सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि पीएलए डेली ने गलवान घाटी में चीन के सैन्यकर्मियों की मौत होना स्वीकार किया और कहा कि पांचों विदेशी सेना से लड़ते हुए मारे गए।
ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया, यह उल्लेखनीय है कि पीएलए डेली की रिपोर्ट में भारतीय सेना का जिक्र विदेशी सेना के रूप में किया गया, यह कदम दिखाता है चीन सीमावर्ती इलाकों से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने की जारी प्रक्रिया की पृष्ठभूमि में लोगों की भावनाओं को भड़काना नहीं चाहता है।
सिंघुआ विश्वविद्यालय में नेशनल स्ट्रेटेजी इंस्टीट्यूट के अनुसंधान विभाग में निदेशक क्वियान फेंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया कि चीन ने घटना की जानकारी का खुलासा इसलिए किया है ताकि उन भ्रामक जानकारियों को खारिज किया जा सके जिनमें कहा गया था कि उक्त घटना में भारत के मुकाबले चीन को अधिक नुकसान पहुंचा था या फिर झड़प की शुरुआत उसकी ओर से हुई थी।
गलवान घाटी में पिछले वर्ष जून में हिंसक झड़प के बाद जब तनाव बहुत बढ़ गया था तब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में ऊंचाई पर स्थित एवं दुर्गम इलाकों में दोनों देशों ने बड़ी संख्या में टैंक, बख्तरबंद वाहन और भारी भरकम उपकरणों की तैनाती की थी। पीएलए ने यह स्वीकारोक्ति ऐसे समय की है, जब पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से दोनों देश अपने जवानों को हटा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारतीय सेना की उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने बताया था कि गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 15 जून को जो घटना घटी उसमें हताहतों की संख्या 45 तक हो सकती थी। झड़प में चीनी सेना के काफी सैनिक मारे गए थे।